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BINOD KARN
BEGUSARAI : सिमरिया कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह में रविवार को पहुंचे अयोध्या धाम हनुमान गढ़ी के श्री महंत अनी एवं कुंभ के आणि अखाड़ा के संयोजक श्री धर्मदास जी महाराज ने कहा कि देश के चारो कुंभ हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन कुंभ में नहाने से जो फल मिलता है वही फल सिमरिया कुंभ में भी नहाने से मिलेगा। देश के अन्य कुंभ की तरह ही सिमरिया कुंभ की भी प्रतिष्ठा है। हम हनुमान जी से बिहार का कुंभ फलने-फूलने की प्रार्थना करते हैं और कहा कि बिहार की धरती ने जब चाह लिया, तो मानो सिमरिया कुंभ हो गया। यहां स्वामी चिदात्मन जी के प्रयास से कुंभ 12 साल पहले ही कुंभ लग चुका है और ये तीसरा कुंभ है।साधु-समाज ने स्वीकृति दिया तब हमने सिमरिया कुंभ का उद्घाटन किये थे। यह धरती माता सीता की जन्मस्थली है यहां कुंभ अवश्य लगेगा। इससे पहले यहां दो बार कुंभ लग चुका है।
सिमरिया में पांचवां कुंभ जागृत हुआ है: स्वामी चिदात्मन जी महाराज
अखिल भारतीय सर्वमंगला सिद्धाश्रम के संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने रविवार को सिमरिया कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्र के मुताबिक 12 कुंभ विख्यात है। संतो के सौजन्य से द्वादश कुंभ भारत में विराजमान है। लेकिन समय परस्थिति और ज्ञान के मुताबिक आज हमारा अतीत वट वृक्ष का रूप ले रहा है आज पांचवां कुंभस्थली सिमरिया धाम जागृत हुआ। तुला संक्रांति पर लगने वाली कुंभ को विद्वानो व अन्यान शास्त्रों ने भी सिद्ध किया है। स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि सिमरिया का कुंभ बिहार, भारत और विश्व का नाम करेगा।
बिहार के शाशन-प्रशासन हरिद्वार, प्रयाग, नासिक व उज्जैन जैसी सुविधाएं सिमरिया कुंभ में प्रदान करें : जगतगुरु रामानंदाचार्य
जिस तरह की सुविधाएं साधु-संतों को हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में मिलता है, उसी तरह की सुविधाएं सिमरिया कुंभ को भी बिहार सरकार के शासन और प्रशासन उपलब्ध करवाएं, ताकि यहां कुंभ में आने वाले साधु-संत अपना पंडाल लगाकर लोगों की सेवा कर सकें। सिमरिया कुंभ को लेकर यहां के शासन-प्रशासन को ध्यान देना पड़े़गा। हम सब मिलकर इसे और आगे बढ़ाएंगे। उक्त बातें सिमरिया कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन के मौके पर रविवार को अयोध्या पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी बल्लभाचार्य जी ने कही। उन्होंने कहा कि अयोध्या हनुमान गढ़ी के श्री महंत धर्म दास जी महाराज जिस भूमि पर पहुंच जाते हैं वहां ना केवल सारा अखाड़ा पहुंच जाता है बल्कि वह भूमि तीर्थभूमि हो जाती है। जगतगुरु ने कहा कि जिस जगह पर सारा अखाड़ा और संत पहुंच जाता है उस भूमि पर कुंभ हो जाता है। मां जानकी की धरती सिमरिया में कुंभ था तभी तो प्रकट हुए। मां जानकी की भूमि मिथिला के सिमरिया कुंभ में अयोध्या से अधिक लोग आए हैं और अयोध्या के लोग त्रेता से कलयुग तक नहीं दिया, देने में मिथिला वासी ही आगे रहे हैं।
सिमरिया कुंभ का 2011 में बीजारोपण 2017 में अंकुरित व 23 में वृक्ष बना: दिलीप दास
अयोध्या महामंडलेश्वर दिलीप दास ने कहा कि सिमरिया कुंभ का बीजारोपण वर्ष 2011 में हुआ, 2017 में अंकुरित हुई और 2023 में यह 12 वर्ष पूरा कर वृक्ष बन गया और आने वाले अगले कुंभ में यह फलदार वृक्ष बन जाएगा। महंत दिलीप दास ने कहा कि ये मिथिला की पावन धरती है भगवान राम जब मिथिला के संबंधी हुए तो यह धरती स्वयं में सर्वशक्तिमान और ऊर्जावान हैं। समस्तीपुर मुरीदाबाद मठ के महंत शिवराम दास ने कहा कि सिमरिया कुंभ का आयोजन को लेकर हम सब पूरे बिहार घूम कुंभ का कार्य 2011 में संपन किये थे। आज जिस भव्य रूप में सिमरिया कुंभ हो रहा है उससे मिथिला और सिमरिया का नाम पूरे देश-दुनियां में होगा। फतेहा महंत राम सुमरण दास ने कहा कि यह कुंभस्थली केवल आज ही नहीं बनी बल्कि ये अनादि काल से चली आ रही है। लेकिन काल चक्र के कारण यह लुप्त हो गया था। लेकिन एक संत ने कुंभ नाम का एक ज्योति जलाई और यह कुंभ धीरे-धीरे भव्यता का रूप ले लिया। उन्होंने कहा कि हम रहे या न रहे, लेकिन यह कुंभ चलता रहेगा। कुंभ को कोई मिटा नहीं सकता है। कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह को महंत राजू दास, सूजा महंत शंकर दास, मुक्तिधाम पोखराम के महंत राम शंकर दास, सिमरिया धाम कबीर मठ के महंत धर्मदास, पातेपुर महंत महामंडलेश्वर श्रीकांत दास समेत कई अन्य साधु-संतों ने संबोधित कर सिमरिया कुंभ को सफल बताया। समारोह का संचालन कुंभ सेवा समिति के महासचिव सह पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार ने किया।
सिमरिया कुंभ में पहुंचे पांच अखाड़ा के निशान
सिमरिया कुंभ के ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह में रविवार को अयोध्या, प्रयागराज समेत देश के विभिन्न हिस्से से साधु-संतों व नागा के अलावे विभिन्न अखाड़े के कुल पांच निशान शामिल हुए। इसमे संतोषी अखाड़ा के संयोजक रतन मनोज दास, निर्वाणी अखाड़ा के संयोजक सेवक दास, महानिर्वाणी अखाड़ा के संयोजक आदित्य नारायण दास के अलावे दिगंबर अखाड़ा व निर्मोही अखाड़ा के भी निशान पहुंचे। इसके पूर्व सिमरिया कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह में जगतगुरु रामानंदाचार्य बल्लभाचार्य जी, श्री महंत अनि व आणि अखाड़ा के संयोजक श्री धर्मदास जी महाराज, स्वामी चिदात्मन जी महाराज, फतेहा महंत राम सुमरण दास, सूजा महंत शंकर दास, पातेपुर महंत श्रीकांत दास समेत सैकड़ो साधु-संतों ने कुंभ ध्वज का प्रतिष्ठापन किया। इस दौरान बेगूसराय सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नगर विधायक कुंदन सिंह, बछवाड़ा विधायक सुरेंद्र मेहता, मटिहानी विधायक राज कुमार सिंह, विधान पार्षद सर्वेश सिंह, कंचन बहन समेत कई अन्य गणमान्य मौजूद थे। वही कुंभ सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. नलिनी रंजन सिंह, संयोजक विश्व रमण उर्फ संजय सिंह, उपाध्यक्ष प्रो. अशोक सिंह अमर, नरेंद्र कुमार धनकु, डॉ. राम प्रवेश सिंह, बलराम सिंह, उमेश मिश्र, रामाशीष सिंह समेत अन्य सदस्यों ने सिमरिया कुंभ में पहुंचे सभी साधु-संतों को चादर व माला से सम्मानित कर आशिर्वाद लिया। वही इसके पूर्व सिमरिया कुंभ ध्वज प्रतिष्ठापन समारोह को लेकर शोभायात्रा बेगूसराय के नौ लखा मंदिर परिसर से सैकड़ो गाड़ी व रथ का काफिले के साथ निकल साधु-संतों व नागा सिमरिया गंगा तट पहुंचे।