गंगा ग्लोबल इंस्टीच्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन में शिक्षक दिवस पर दो दिवसीय सेमिनार आयोजित
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अद्वैत वाले सिद्धांत से अपनी फिलॉस्फी की पृष्ठभूमि की थी तैयार
BINOD KARN
BEGUSARAI : गंगा ग्लोबल इंस्टीच्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन, रमजानपुर में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर दो दिवसीय (4-5 सितंबर) सेमिनार का बुधवार को उद्घाटन किया गया। सेमिनार का उद्घाटन दरभंगा स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के सम्मानित संतकुमार सहनी, बीएमए कॉलेज दरभंगा के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. संजीत कुमार द्विवेदी, एफएएटीटी कॉलेज दरभंगा के प्राचार्य डॉ. शशिभूषण राय, GGIMS की प्राचार्या डॉ. सुधा झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
सेमिनार के पहले दिन उपस्थित प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए एमएलसी सर्वेश कुमार ने कहा कि आज पढ़ने-पढ़ाने का काम संकट में आ चुका है। इस काम को हम नहीं करेंगे, आप नहीं करेंगे और समाज नहीं करेगा तो न ही स्प्रीचुअल प्रोग्रेस होगा न मैटेरियल प्रोग्रेस। आज देखने में आता है कि नौकरी के बिना शिक्षा और रोजगार के बिना शिक्षा को कोई महत्व नहीं रह गया है। नौकरी पाने के बाद अधिकांश लोग पढ़ना छोड़ देते हैं और जिन्हें नौकरी नहीं लगती वो भी नहीं पढ़ते हैं। ऐसा नहीं होना चािहए। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अद्वैत वाले सिद्धांत से अपनी फिलॉस्फी की पृष्ठभूमि तैयार की थी।
खुद का मूल्यांकन करना सीखें : संत सहनी
सेमिनार को संबोधित करते हुए संत कुमार सहनी ने कहा कि हमें खुद का मूल्यांकन करना सीखना होगा। जब हम सीख जाएंगे तो समस्याएं ही नहीं रहेंगी। समस्याओं का समाधान ढूंढना सीख गए तो यकीन मानिए आप उस दिन कुशल शिक्षक बन जाएंगे। बच्चों को पढ़ाना या उन्हें योग्य बनाना आटा गूथने जैसे है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में विस्तार से बताया।
डॉ. द्विवेदी ने नैतिक शिक्षा पर जोर दिया
डॉ सुजीत कुमार द्विवेदी कि सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन ने नैतिक शिक्षा पर बल दिया था। नैतिकता व धार्मिकता पर दिया था। गांवों में शिक्षा देने पर बल दिया था। आज के शिक्षा नीति में कई बातों को समावेश किया गया है जिसको लेकर राधाकृष्णन ने वर्षों पूर्व सुझाव दिया था। उन्होंने 40 वर्षों तक शिक्षक के रूप में बीताया।
एफएएटीटी कालेज दरभंगा के प्राचार्य डॉ. शशि भूषण राय ने कहा कि राधाकृष्णन जी जैसे लोग कभी नहीं मरते। उन्होंने देश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई महत्वपूर्ण विचार व सुझाव दिए थे। लेकिन यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था जहां होनी चाहिए था वहां हम नहीं पहुंच पाए हैं। सरकार बदलती है शिक्षा नीति बदल जाती है। शिक्षा को गर्त में जाने का यही बड़ी वजह है। शिक्षकों का दायित्व बच्चों को प्रेरित कितना किया, बच्चों ने उसे अपने जीवन में कितना उतारा यह देखना है। तभी बच्चों का चहुंमुखी विकास होगा।
गंगा ग्लोबल बीएड कालेज के सहायक प्राध्यापक डॉ अनीथा एस ने विभिन्न वक्ताओं द्वारा दिए गए वक्तव्यों की समीक्षा की। इससे पहले कॉलेज की सहायक प्राध्यापक डॉ. कामायनी कुमारी ने सभी का स्वागत करते हुए परिचय कराया। प्राचार्य डॉ. नीरज कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए विषय प्रवेश कराया। प्रशिक्षु हर्षिता, जयश्री और अर्पिता ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र, माला और पौधा देकर किया गया।
दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए गंगा ग्लोबल बीएड कालेज के सहायक प्राध्यापक प्रो सुधाकर पांडेय ने कहा कि अगर डॉ राधाकृष्णन कृष्णन के शैक्षाणिक दर्शन को अलग कर दिया जाता है तो भारतीय संस्कृति के अनुरूप कोई शिक्षा नीति नहीं रह जाती है। वहीं सहायक प्राध्यापक प्रो परवेज यूसुफ, सहायक प्राध्यापक डॉ अंजली, सहायक प्राध्यापक डॉ अविनाश कुमार, सहायक प्राध्यापक प्रो कुंदन कुमार ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो विपिन कुमार ने किया।
मंच संचालन हर्षिता कुमारी व मुरारी कुमार ने किया। जबकि कार्यक्रम को सफल बनाने में सेमिनार प्रभारी कामायनी कुमारी का योगदान सराहनीय रहा। वहीं सत्र को संबोधित व पेपर प्रजेंट करने वाले प्रशिक्षुओं में श्रृष्टि गौतम, मोनू कुमार, कुमारी ममता, पल्लवी कुमारी, प्रिया कुमारी, सुप्रिया कुमारी, नेहा कुमारी, शाम्भवी कुमारी, रुचित पटेल, रूचि कुमारी, कुलदीप कुमार, अभिलाषा कुमारी, पुष्पांजलि कुमारी व डॉली कुमारी शामिल हैं।
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