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रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल की 50 एकड़ जमीन में से 45 एकड़ जमीन पर दूसरे लोगों का दखल-कब्जा
BAKHRI /BEGUSARAI : रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल के जिन 50 एकड़ जमीन के मालिकाना हक का सवाल इन दिनों बखरी और आस-पास के इलाकों में चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है उस 50 एकड़ जमीन की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट रामपुर ठाकुरबाड़ी के प्रति आस्था और श्रद्धा रखने वाले हजारों-लाखों लोगों के होश उड़ा देंगे।
इन 50 एकड़ जमीन की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट बताती है कि रामपुर ठाकुरबाड़ी/ मठ के संचालन के लिए आवंटित यह भूमि भी अब मठ के पास नहीं हैं और अधिकांश जमीन पर दखल-कब्जा किसी और का है। यह हम नहीं सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं। सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं कि करीब 45 एकड़ जमीन पर दूसरे लोगों का दखल-कब्जा है।
और इन सब के बीच रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल की इस 50 एकड़ जमीन का दाखिल खारिज कराकर जमीन की जमाबंदी स्वयं के नाम से करवाने के लिए पूर्व 'महंथ' स्व. सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण का आवेदन बखरी अंचलाधिकारी के पास विचाराधीन है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि रामपुर ठाकुरबाड़ी मठ के संचालन के लिए सरकार की ओर से महंथ भरतदास के नाम से आवंटित 50 एकड़ जमीन का 'असली' मालिक कौन हुआ? क्या इसका फैसला करने के लिए बखरी के अंचलाधिकारी उचित प्राधिकार हैं? सवाल बखरी से लेकर बेगूसराय तक के अधिकारियों, सरकारी फाइलों में जितना घूम रहा है और जितनी दिलचस्पी बखरी से लेकर बेगूसराय तक के सरकारी हाकिम और उनके मातहत कर्मचारी ले रहे हैं उससे कम दिलचस्पी और सवाल रामपुर, बखरी से लेकर आस-पास के दर्जनों गांवों और यहां के आमलोगों में नहीं है।
जानकारी के मुताबिक रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल की जिस 50 एकड़ जमीन की जमाबंदी स्वयं के नाम से करवाने के लिए पूर्व 'महंथ' स्व. सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण ने बखरी अंचलाधिकारी को आवेदन दे रखा है उनमें से अधिकांश जमीन पर वर्षों से दूसरे लोगों का दखल-कब्जा है। यह खुलासा बखरी के पूर्व अंचलाधिकारी शिवेंद्र कुमार की स्थलीय जांच रिपोर्ट में दर्ज है। स्थलीय जांच रिपोर्ट की कापी tophindinews.com के पास उपलब्ध है। उक्त रिपोर्ट का प्रतिवेदन फोटोग्राफ के साथ बखरी के भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) को पत्रांक- 1584, दिनांक-25 नवंबर 2023 को ही समर्पित कर दिया था। फिर बखरी DCLR किशन कुमार ने यह रिपोर्ट अपर समाहर्ता (ADM) को पत्रांक- 680, दिनांक-30 नवंबर 2023 को प्रेषित कर दिया था। इस स्थलीय जांच रिपोर्ट के आधार पर ADM बेगूसराय राजेश कुमार ने बखरी के अंचलाधिकारी को विभागीय पत्र पत्रांक- 401, दिनांक -24 जनवरी 2024 में जांचोपरांत नियमानुसार कार्रवाई करने को लिखा। जाहिर है कि ADM ने गेंद अंचलाधिकारी के पाले में फेंक दिया। अब अंचलाधिकारी विगत सात महीने से असमंजस की स्थिति में हैं कि इस जटिल मसले के मामले में क्या किया जाए? लिहाज़ा गौरव सावर्ण की ओर से दायर नामांतरण मुकदमा संख्या- 1970 R 27/2023-2024, दिनांक -29 जनवरी 2024 सात महीने से अंचल स्तर पर पेंडिंग है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि रामपुर मठ को जो 50 एकड़ जमीन मिले थे, उनमें से मौजा रामपुर में खेसरा नंबर-181 व 183 की जमीन हीरा चौधरी समेत अन्य लोगों के नाम से भी जमाबंदी चल रही है। इसी प्रकार रामपुर मौजे में ही खेसरा नंबर -1054 की जमीन की जमाबंदी सत्य नारायण झा वगैरह के नाम से भी चल रही है। बहुत से खेसरा की जमीन पर लोगों ने पक्का मकान बना रखा है और वह रह रहे हैं। बहुत सारी जमीन पर बहुत से लोग वर्षों से जोत-आबाद कर दखल-काबिज हैं। अंचलाधिकारी शिवेंद्र कुमार की जांच रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि स्थल जांच के दौरान बहुत से लोगों ने उन्हें बताया कि 'महंथ' के द्वारा मौखिक रूप से जमीन दिया गया है और इस आधार पर वे 25-30 वर्षों से रह रहे हैं।
स्पष्ट है कि रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी की जमीन पर अब ना तो ठाकुरबाड़ी का दखल कब्जा है और ना ही इस जमीन पर मालिकाना हक का दावा जता रहे पूर्व 'महंथ' सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण का।