बेगूसराय में सत्ता विरोधी लहर में फंस गई BJP की कश्ती
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बेगूसराय में सत्ता विरोधी लहर में फंस गई BJP की कश्ती

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CPI के अवधेश राय ने दी कड़ी टक्कर? NDA घटक दलों का वोट भी BJP को ट्रांसफर नहीं हो सका? 
 

 BEGUSARAI : लोकसभा की हाॅट सीट में शुमार बेगूसराय में वोटिंग के दिन ऐसी अंडर करंट सत्ता विरोधी लहर चली है कि BJP की चुनावी कश्ती फंस गई है। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट भी इस बात के साफ संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी को भारी नुकसान हो रहा है। अलबत्ता BJP के नेता अभी भी इस मुगालते में हैं कि थोड़ा बहुत मार्जिन से वह चुनाव जीत लेंगे। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि कड़ी टक्कर में I.N.D.I.A. महागठबंधन यानी CPI ने इस बार बेगूसराय में बाजी मार सकती है।

 क्या पिछड़ गए हैं गिरिराज सिंह? 

बेगूसराय लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू होते ही कई क्षेत्रों में गिरिराज सिंह पिछड़ते हुए लग रहे थे। महागठबंधन के समर्थक मतदाताओं का पोलिंग बूथ पर भीड़ सुबह सात बजे से लगने लगा था। करीब पांच बजे तक के मतदान के रूझान (55%) से साफ हो गया है कि बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट है, जो BJP की चुनावी संभावनाओं के लिए खतरे की घंटी है। यूं तो बेगूसराय लोकसभा के सात विधानसभा क्षेत्रों में से ज्यादातर क्षेत्रों में कांटे के मुकाबले के आसार शुरू से दिखाई दे रहे थे। लेकिन बेगूसराय और मटिहानी विधानसभा क्षेत्र जिसे BJP-NDA का गढ़ माना जा रहा था, वहां भी I.N.D.I.A महागठबंधन समर्थित CPI प्रत्याशी अवधेश राय ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है। जानकार बताते हैं कि NDA के घटक JDU, LJP, HAM (सेक्युलर) के वोट भी BJP उम्मीदवार गिरिराज सिंह को पूरा ट्रांसफर नहीं हो सका है और इसमें इंडिया महागठबंधन अच्छी खासी सेंध लगाने में कामयाब रही है। कोयरी-कुर्मी मतदाताओं का बड़ा हिस्सा CPI के पक्ष में जाने की पक्की रिपोर्ट है। उसी तरह पासवान व मुसहर समाज का ज्यादा वोट CPI उम्मीदवार के पक्ष में पोल हुआ है। जाहिर तौर सामाजिक समीकरण इंडिया महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में रहा और बीजेपी इसमें मात खा गई।

NDA के खिलाफ एंटी इनकम्बेशी?

बेगूसराय लोकसभा सीट पर NDA को कई तरह के सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है। केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ बिहार की एनडीए सरकार के खिलाफ भी लोगों का रुझान दिखा। लेकिन वोटरों की सबसे ज्यादा नाराजगी गिरिराज सिंह के प्रति दिखी। सांसद और केंद्रीय मंत्री रहते लोकसभा क्षेत्र की उपेक्षा और कार्यकर्ताओं से कटकर रहने की चर्चा पूरे चुनाव होती रही। इस कारण बहुत से इलाकों में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने भी पूरी ताकत नहीं लगाई। वहीं बहुत से इलाकों में गिरिराज सिंह को भीतरघात का भी सामना करना पड़ा है। बीजेपी कई प्रमुख कार्यकर्ताओं के बारे में जमीनी रिपोर्ट यह है कि वह अंतिम समय में गिरिराज सिंह के पक्ष में वोट मांगने आए जरूर, मगर वह साथ रहने का स्वांग ज्यादा था, ताकि पार्टी में उनकी इमेज बरकरार रहे। अलबत्ता ऐसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी बीजेपी को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सीधे मुकाबले के कारण फंस गए गिरिराज? 

बेगूसराय सीट पर अगर इस बार BJP उम्मीदवार गिरिराज सिंह पिछड़ते हैं तो उसकी बड़ी वजह इंडिया अलायंस समर्थित उम्मीदवार से सीधा मुकाबला रहा। 2019 में त्रिकोणीय मुकाबले में गिरिराज सिंह ने CPI के कन्हैया कुमार को करीब सवा चार लाख मतों से पराजित किया था। तब राजद से तनवीर हसन गिरिराज सिंह की बड़ी जीत के मुख्य कारण बने थे। लेकिन इस बार NDA के गिरिराज सिंह का I.N.D.I.A गठबंधन समर्थित CPI उम्मीदवार अवधेश राय से सीधा मुकाबला था। इस सीधे मुकाबले में बाहरी बनाम भीतरी और सवर्ण बनाम पिछड़ा के समीकरण में एनडीए का वोट बैंक सिकुड़ गया है।

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