संगीत नाटक अकादमी का नाट्य महोत्सव की पहली प्रस्तुति 'बटोही' ने मोहा मन
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संगीत नाटक अकादमी का नाट्य महोत्सव की पहली प्रस्तुति 'बटोही' ने मोहा मन

THN Network


भोजपुरी के सेक्सपियर भिखारी ठाकुर की कालजयी नाटक बटोही देखने पहुंचे लोग
संगीत नाटक अकादमी से देशभर से आए कलाकारों की प्रस्तुति 17 मार्च तक

BINOD KARN

BEGUSARAI : संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से बेगूसराय में आयोजित 6 दिवसीय नाट्य महोत्सव का शुभारंभ कंकौल स्थित ऑडिटोरियम सह प्रेक्षागृह में मंगलवार की शाम भोजपुरी के सेक्सपियर भिखारी ठाकुर की कालजयी नाटक 'बटोही' से हुआ। गौरतलब हो कि बटोही को नए अंदाज में ऋषिकेश सुलभ ने लिखा है। बेगूसराय में मंचित इस नाटक को प्रांगण, पटना के निर्देशक अभय सिंहा ने निर्देशित किया। नीलेश्वर मिश्रा ने बटोही की भूमिका निभाकर दर्शकों पर अपना छाप छोड़ दिया। 
बताते चलें कि श्री मिश्रा को उनके उत्कृष्ठ अभिनय के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। बटोही पूरी तरह से म्युजिकल नाटक है, जिसमें लोकगीत-संगीत भरे पड़े हैं। मंचन के दौरान लगभग ढेर घंटे दर्शकों ऐसे गोता लगाया कि उन्हें समय का पता भी नहीं चलता और अपनी उत्कृटता से साथ नाटक समाप्त हो गई।
 बटोही एक शब्द है यायावरी व छटपटाहट की।
नाटक का मुख्य पात्र बटोही अपने आप में यायावरी, छटपटाहट और रचनात्मक बेचैनी का प्रयाय है। बटोही भिखारी ठाकुर की रचना इस नाटक में केन्द्रीय चेतना है। यह नाटक उन चिंतीत लोगों के बीच से गुजरने का प्रयास है। जिनके रचनात्मक दबाव के कारण भिखारी ठाकुर नाटककार व रंगकर्मी के रूप में आकार लिया है। वह समाज के अंतिम कतार में खड़े लोगों के बीच पैदा और चुने हुए अपनी रचना के बीज तत्व हैं। सामंती व्यवस्था की क्रूरताओं और जातिवाद की घिनौने आतंक के बीच अपने रंगकर्म से जीवन की पक्षधरता का दुस्साहसी अभियान चलाने वाले ठाकुर को रचते हुए लेखक ने तथ्यों से परे जाकर बहुत कुछ तलाशने की कोशिश की है। इसमें कमला बबुनी की उपस्थिति ऐसी ही कोशिश का प्रतिफल है। ऐसे कई और चरित्र इस नाटक को जान भर दिया है।
नाटक में बटोही की पत्नी मनतुरनी को लेखक ने एक ऐसी स्त्री के रूप में रचने का प्रयास किया है, जो उपर से अनपढ़ दिखती है पर भीतर से बेहद संवेदनशील और सजग है। मनतुरनी के भीतर पीड़ा का समुंद्र छिपा है। इसकी लहरों के थपेड़ों में भिखारी की दुर्बलताएँ बह जाती है। मनतुरनी उन अन्तद्वन्द्वों को उजागर करती है और उनकी लालसाओं की दिशा मोड़कर नई राहों की ओर चल पड़ती है। कमला बबनी की दुख भी भिखारी ठाकुर को सृजन के लिए मांजता है। 
नाटक में तिवारी बहु, मोती बहु और बुचिया जैसी स्त्रियों के जीवन का हाहाकार भिखारी ठाकुर के मन-प्राण में अजस्न नाद की तरह गूँजता है और ढलता है शब्दों में, लय-ताल में, स्वरों में, देह की मुद्राओं में यानी नाट्य की विभिन्न भंगिनाओं में।

भूमिका अदा करने वाले कलाकार

नाटक में एक तरफ जहां भिखारी ठाकुर की भूमिका में नीलेश्वर मिश्रा केंद्र में हैं, तो दूसरी ओर अन्य कलाकारों में कौन कम और कौन बीस कहना मुश्किल होगा। नाटक में रामानंद सिंह की भूमिका में मृत्युंजय प्रसाद, दलसिंगार ठाकुर की भूमिका में अनिल वर्मा, शिवकली की भूमिका में डॉ. अंजू चंद्रा सहित सोलह कलाकारों ने जान भरने का काम किया है।

डीएम रौशन कुशवाहा ने 6 दिवसीय महोत्सव का किया उद्घाटन 

ऑडिटोरियम में आयोजित 6 दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन डीएम रौशन कुशवाहा किया। डीएम की मां जालपा एवं पिता आरपी सिंह भी उद्घाटन समारोह में पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बेगूसराय रंग कर्म के क्षेत्र में देश में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। इसके पीछे यहां के युवा रंग कर्मियों एवं रंग निर्देशकों की लगातार सक्रियता बड़ी वजह है। मौके पर मेयर पिंकी देवी पूर्व मेयर संजय कुमार सहित अन्य अतिथियों को महोत्सव के कोऑर्डिनेटर अमित रोशन ने सम्मानित किया है कार्यक्रम का संचालन  अभिजीत कुमार मुन्ना कर रहे थे। कार्यक्रम को संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के नाटक अनुभाग निलेश कुमार दीपक, फोटो प्रलय खान एवं कार्यक्रम संचालन पवन झा, प्रशासनिक गतिविधि अशोक कुमार, राहुल सोमवीर, कुलदीप एवं सुरेंद्र सिंह देख रहे थे।

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