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गंगा समग्र की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बेगूसराय में संपन्न
गंगा समग्र न सिर्फ जनजागरण में लगी है बल्कि विभिन्न तरीकों से सरकार व प्रशासन को भी जगा रही है : डॉ आशीष गौतम
BINOD KARN
BEGUSARAI : मां गंगा के प्रति श्रद्धा का भाव सभी लोगों में है। चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो। गंगा जीवनदायिनी है। लोगों के अंदर छिपे इसी भाव को भावना के रूप में जागृत करने में गंगा समग्र लगी हुई है। जिस दिन यह भावना जागृत हो जाएगी, उसी दिन गंगा निर्मल व अविरल हो जाएगी। ये बातें गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने गंगा समग्र के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय (17-18 जून) बैठक आज बुधवार को समापन के मौके पर बेगूसराय के अखंड परम धाम अतिथि भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि विश्व में नदियों की कमी नहीं है। लेकिन गंगा जैसी औषधीय गुण वाला जल कहीं नहीं है। लेकिन मानवीय अज्ञानता के कारण इसकी निर्मलता में कमी आयी है। इस कारण गंगा समग्र ने जनजागरण को प्राथमिकता देते हुए अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि हम गंगा स्नान को जाते हैं और कपड़े से लेकर पूजा सामग्री का अवशेष किनारे में छोड़ देते हैं जिससे नदी प्रदुषित होती है। गंगा समग्र ने गंगा ही नहीं बल्कि सभी जल स्रोत को जल तीर्थ मानते हुए तालाब, कुआं व सभी नदियों की निर्मलता को लेकर अभियान चला रखा है। अब तक के प्रयास में काफी सफलता भी मिली है। गंगा समग्र नदी व गंगा किनारे के 3-5 किलोमीटर के निकट के निवासियों से अपील करती हैं कि वे खेतों में यूरिया व फास्फोरस के बदले जैविक खेती करें ताकि कोई रसायन जल को दूषित नहीं करे।
वहीं गंगा समग्र के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ आशीष गौतम ने गंगा समग्र के 16 आयामों की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे स्वयंसेवक न सिर्फ घाटों की करते हैं बल्कि वृक्षारोपण करने को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता सरकार के भरोसे ही संभव नहीं है। जनसहयोग बहुत जरूरी है। आरटीआई व अन्य माध्यमों से हम सरकार व प्रशासन पर भी दबाव बनाते हैं। दो दिवसीय बैठक में पूरे एक साल की कार्य योजना पर विस्तार से चर्चा हुई है।
इस मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ लल्लू बाबू, राष्ट्रीय संपर्क प्रमुख सह MLC सर्वेश कुमार, राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर प्रसाद सिन्हा व राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री अवधेश कुमार गुप्त भी मौजूद थे।