सामाजिक विज्ञान ने समाज में विकास की क्रांति के रूप में अपनी पहचान बनाई : डॉ सचिन
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सामाजिक विज्ञान ने समाज में विकास की क्रांति के रूप में अपनी पहचान बनाई : डॉ सचिन




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रिवॉल्यूशन इन टीचिंग प्रैक्टिस ऑफ़ सोशल साइंस" पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी

BINOD KARN 

BEGUSARAI: "रिवॉल्यूशन इन टीचिंग प्रैक्टिस ऑफ़ सोशल साइंस" विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन ब्लैडेड मोड में तारा कॉलेज आफ एजुकेशन विक्रमपुर, बेगूसराय सेमिनार हॉल में शुक्रवार को किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अतिथियों एवं प्राध्यापकों ने "रिवॉल्यूशन इन टीचिंग प्रैक्टिस ऑफ़ सोशल साइंस" विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य अतिथि कोल्हन यूनिवर्सिटी, झारखंड के डॉ सचिन ने कहा कि सामाजिक विज्ञान ने समाज में विकास की क्रांति के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अच्छी आदतों, आचरण, कौशलों का विकास, आत्म-निर्भरता की भावना का विकास, वर्तमान को समझने का विकास और लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण का विकास पर बल दिया। 
सहायक प्राध्यापक टीपी कॉलेज मधेपुरा के डॉ. आशुतोष झा ने कहा कि सामाजिक क्रांति के दो सबसे आम कारण वर्ग संघर्ष और असमानता हैं। तनाव, अमीरों व गरीबों के संघर्ष में बदल जाता है।
 एसपी जैन कॉलेज, सासाराम के सहायक प्राध्यापक प्रो. डॉ कमलेश कुमार राय ने कहा कि सामाजिक क्रांतियां जब प्रकट होती हैं तो अचानक परिवर्तन लाती हैं। यह शक्ति की गतिशीलता को प्रतिबिम्बित करता है. 
कार्यक्रम में महाविद्यालय के उपप्राचार्य कुमार सौरभ, रामरतन कुमार, रामानंद राय, बलराम कुमार, प्रतिमा कुमारी, रानी कुमारी, नवीता कुमारी, आदि मौजूद थे। मंच संचालन प्राध्यापक गोपाल कुमार झा ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए तारा कॉलेज ऑफ़ एडुकेशन प्रबंधन समिति के अगम कुमार ने कहा कि सामाजिक क्रांति वर्तमान सत्तारुढ़ सत्ता संरचना से एक नई आमूल चूल पुनर्गठन प्रक्रिया में निर्णायक अचानक परिवर्तन है जो सामाजिक, राजनीतिक, संस्थानों और सम्पूर्ण प्रणालियों को बदल देती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन करने के लिए महाविद्यालय प्रशासन धन्यवाद का पात्र है क्योंकि इससे छात्र, अध्यापक- अध्यापिकाओं को काफी कुछ सीखने का अवसर मिला है। उनका ज्ञानवर्धन भी हुआ है। साथ ही महाविद्यालय के सभी छात्र एवं प्राध्यापकगण महाविद्यालय प्रशासन से यह उम्मीद करता है कि इस तरह की संगोष्ठी का आयोजन आगे भी होता रहेगा।


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