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रंगमंच को समझने से जीवन की बहुत सारी कठिनाइयां दूर होती हैं : अनिल पतंग
BINOD KARN
BEGUSARAI : माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन (MTF) बेगूसराय ने प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्थानीय दिनकर कला भवन परिसर स्थित रिहर्सल स्पेस में "समर कैंप सह रंग कार्यशाला" का शुभारंभ किया। कार्यशाला का उद्घाटन वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल पतंग, युवा रंगकर्मी डॉ. अमित रौशन तथा रंग निर्देशक परवेज यूसुफ ने किया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल पतंग ने कहा कि आज मोबाइल के कारण रंगमंच जैसी बहुत सारी गतिविधियां प्रभावित हुई है। रंगमंच को समझने से जीवन की बहुत सारी कठिनाइयां दूर होती है। रंगमंच से हम उठने, बैठने, लोगों के साथ व्यवहार करने, वार्तालाप करने का पाठ सीखते हैं। रंगमंच हमें आंगिक, वाचिक, आहार्य तथा सात्विक अभिनय की शिक्षा देती है।
डॉ. अमित रौशन ने कहा कि रंगमंच से युवाओं को जुड़ना चाहिए। रंगमंच से तनाव व क्रोध में भी कमी आती है। रंगमंच जाति-धर्म से ऊपर उठकर समूह की भावना को विकसित करता है। रंगमंच आसान विषय नहीं है। अन्य विषय रटंत हो सकता है किन्तु रंगमंच रटंत नहीं हो सकता है। इसके लिए कठिन परिश्रम करना होता है। खूब पढ़ना होता है। भावों की अभिव्यक्ति के संबंध में कहा कि ये तो नवजात शिशु भी समझता जब आप उसके नजदीक जाते हैं।
वरिष्ठ नाट्य निर्देशक व मुख्य प्रशिक्षक परवेज़ यूसुफ़ ने आयोजन के संबंध में कहा कि रंगमंच की दृष्टिकोण से वाचिक अभिनय को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस वर्ष के समर कैंप सह रंग कार्यशाला का थीम है "Voice & Vibe वॉइस एंड वाइब" (आवाज और एहसास)। हमारी आवाज ही हमारी पहचान है। हम अधिकांश लोगों को उनकी आवाज से ही पहचानते हैं। कार्यशाला में स्वर, संवाद, डिक्शन, एक्सप्रेशन के साथ बाॅडी लैंग्वेज से संबंधित प्रायोगिक अभ्यास के माध्यम से सीखने-सीखाने की योजना है। रंगमंच की विशेषता के संबंध में कहा कि इससे हमारी सोच सकारात्मक और बौद्धिक क्षमता मजबूत होती है, जिससे हमें अपने बारे में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला एक सप्ताह तक चलेगा।
कार्यशाला में नीतीश कुमार, राहुल कुमार, कृष्ण कुमार, दीपा कुमारी, अलीशा, गौस परवेज समीर, राजू कुमार, आदित्य कुमार, आयुष राज, अजीत कुमार, हर्षवर्धन प्रसाद गुप्ता, शिवम कुमार, सौरभ कुमार, नवीन कुमार एवं आशीष कुमार उपस्थित थे।