शिक्षा को शिल्प से जोड़ने के महात्मा गांधी के सपने को साकार करने में जुटी है मोदी सरकार: राजकिशोर
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शिक्षा को शिल्प से जोड़ने के महात्मा गांधी के सपने को साकार करने में जुटी है मोदी सरकार: राजकिशोर

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BINOD KARN

BEGUSARAI: महात्मा गांधी ने शिल्प को शिक्षा में शामिल करने को कहा था ताकि रोजगार पाने के अवसर मिल सके। पीएम नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति में बुनियादी तौर पर शामिल किया है। विकास विद्यालय डूमरी अपने स्कूली इच्छुक छात्र -छात्राओं‌ को यह अवसर प्रदान करने को संकल्पित है। ये बातें विकास विद्यालय के निदेशक व भाजपा नेता राजकिशोर सिंह ने गांधी व शास्त्री जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर का दिन हर भारतीय के लिए पर्व मनाने का दिन हैं।  आज महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन हैं। इस दिन को विकास विद्यालय ने यादगार बनाने का प्रण लिया हैं, महात्मा गाँधी ने बुनियादी शिक्षा के पाठ्यक्रम को इस तरह डिज़ाइन किया कि वह आज की मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 के पहलुओं को विभिन्न नामों से जाना जा रहा हैं। बच्चे  और समाज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए क्रियाशील पाठ्यक्रम का निर्माण किया है। उनके द्वारा प्रस्तावित नई तालीम या बुनियादी शिक्षा के लिए हस्त उद्योग से कटाई, बुनाई, बागवानी, कृषि, कास्ट कला, चर्म कार्य, मिट्टी का काम आदि में से कोई एक को स्थान दिया था वो आज भी प्रासंगिक हैं।

श्री सिंह ने कहा कि एलीमेंट्री एजुकेशन के साथ ही बच्चों को एक कारीगर के रूप में कुशल शिल्प, एक व्यापारी के रूप में व्यापार या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करना नई शिक्षा नीति का एक अहम बिंदु है। व्यावसायिक शिक्षा को उस प्रकार की शिक्षा के रूप में भी देखा जा सकता है जो किसी व्यक्ति को अपेक्षित कौशल के साथ लाभकारी रोजगार या स्व-रोजगार के लिए तैयार करने के लिए दी जाती है। नई शिक्षा नीति 2020 के पहलुओं को विभिन्न नामों से जाना जाता है। नई शिक्षा नीति में बच्चों के कैरियर और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना शामिल है। तकनीकी शिक्षा को टीवीईटी (तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण) और टीएएफ़ई (तकनीकी और आगे की शिक्षा) जैसे संक्षिप्त नामों से भी जाना जाता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या में भी शुरुआती कक्षाओं से ही बच्चों को व्यावसायिक वे तकनीकी क्षेत्र में कुशल बनाने पर बल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि विकास विद्यालय डुमरी में बच्चों के कौशल विकास और उन्हें व्यावहारिक व व्यवसायिक शिक्षा देने के लिए विद्यालय में चाक की व्यवस्था की गई है। कास्ट कला और बागवानी के लिए कौशल कारीगर के रूप में बढ़ई एवं माली की व्यवस्था की गई है। विद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला में बच्चों को मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के विभिन्न काम एवं बागवानी के हुनर को सिखाया गया। विद्यालय के डायरेक्टर श्री सिंह का कहना है कि कास्ट कला, मिट्टी कला और बागवानी के संकाय में ट्रैनिग चालू करने का आज सबसे उत्तम दिन हैं, जो अपने आप में जिले में एक नया प्रयोग है।

विद्यालय के प्रिंसिपल मनोज चौधरी ने कहा कि    कई नवाचार कोर्स यहां चालू किये जाएंगे, जिसमें बच्चों को कास्ट कला, मिट्टी कला और बागवानी के क्षेत्र में अपने विद्यालय को निपुण बनाने के साथ ही वैज्ञानिक सोच भी विकसित करने का प्रयास किया गया है। उनका विद्यालय जिले के उन गिने-चुने विद्यालयों में से हैं। इस कार्यक्रम के संयोजक राकेश कुमार ने कहा कि हमें इसे हर विद्यालय तक पहुँचाना हैं। इस कार्यक्रम में सहयोगी की भूमिका निभा रहें जागो गांव NGO के निदेशक सोमेश चौधरी ने कहा कि हमने ठाना हैं हर हाथ को हुनरमंद बनाना है। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।


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