CPI-ML के सीनियर नेता काॅ राजाराम का निधन, पटना में नेताओं ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई, उमड़ा जनसैलाब
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CPI-ML के सीनियर नेता काॅ राजाराम का निधन, पटना में नेताओं ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई, उमड़ा जनसैलाब

THN Network


फासीवाद के खिलाफ संघर्ष की आवाज को प्रेरणा देते रहेंगे काॅ. राजाराम : दीपंकर 

CPI-ML महासचिव सहित वामपंथी, कांगेस, राजद के नेता व कई सामाजिक कार्यकर्ता हुए अंतिम विदाई में शामिल


STATE BUREAU 

PATNA : देश में क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन को मुखर आवाज देने वाले IPF के पूर्व महासचिव व CPI-ML के सीनियर नेता काॅ राजाराम का पटना में असामयिक निधन हो गया. उनके निधन से देश में वामपंथी आंदोलन को झटका लगा है. 
CPI-ML के वरिष्ठ नेता व IPF के संस्थापक महासचिव काॅ. राजाराम के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने के लिए रविवार को पटना में वामपंथी ही नहीं बल्कि विभिन्न दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी. उपस्थित नेताओं-कार्यकर्ताओं के हुजूम ने नम आंखों से और मुठ्ठियों को बांधकर अपने नेता को अंतिम विदाई दी. छज्जूबाग स्थित CPI-ML विधायक दल के नेता महबूब आलम के आवास पर अंतिम यात्रा से पहले सुबह 10 बजे से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. श्रद्धांजलि सभा में माले सहित विभिन्न वामंपथी पार्टियों, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं सहित उनके परिजनों, बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और पटना शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही. झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों से भी पार्टी कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देने पटना पहुंचे.



माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने सबसे पहले उनके पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उनके अलावा वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, झारखंड के राज्य सचिव का. मनोज भक्त, झारखंड के पूर्व राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, बिहार राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, मीना तिवारी, राजाराम सिंह, शशि यादव, केडी यादव, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, पार्टी के पूर्व राज्य सचिव नंदकिशोर प्रसाद, प्रभात कुमार चौधरी आदि नेताओं ने माल्यार्पण किया.



CPI के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, CPM के अरूण मिश्रा, RJD नेता व विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, कांग्रेस के मोहन शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत, पूर्व विधायक छोटे केडी यादव, पूर्व विधायक एन के नंदा, बलदेव झा, अरविंद सिन्हा, नंदकिशोर सिंह, किशोर दास आदि वाम-जनवादी नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कामरेड राजाराम जी को अपनी श्रद्धांजलि दी.
माले विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम, महानंद सिंह, मनोज मंजिल, अमरजीत कुशवाहा, गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव सहित सभी जिला सचिवों, केंद्रीय व राज्य कमिटी के सदस्यों, किसान महासभा के नेता उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, AIPF के कमलेश शर्मा और काॅ. राजाराम की पत्नी व भाकपा-माले नेता का. संगीता देवी, उनके पुत्र अभिषेक कुमार व परिवार के अन्य सदस्यों ने दिवंगत काॅ. राजाराम के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया.
माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि कॉमरेड राजाराम का अचानक चले जाना हम सबके लिए शॉकिंग है. उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी और संघर्ष के हर क्षेत्र में कम्युनिस्टों और अन्य फासीवाद-विरोधी सेनानियों को प्रेरित करती रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि बेहद निर्णायक राजनीतिक मोड़ पर हमने अपने एक अनुभवी और प्रतिबद्ध सेनानी खो दिया है. 



श्रद्धांजलि सभा में उदयनारायण चौधरी, रामनरेश पांडेय, अरूण मिश्रा, केडी यादव और अभिषेक कुमार ने भी अपने वक्तव्य रखे. वक्ताओं ने कहा कि का. राजाराम एक सच्चे कम्युनिस्ट नेता थे और कई पीढ़ियों को प्रभावित करते रहे. 
उदय नारायण चौधरी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि का. राजाराम जी को 1982-83 से देखते रहा हूं. वे लगातार लोकयुद्ध व लिबरेशन पत्रिका हमारे पास पहुंचाते रहे. आज के कठिन समय में उनसे सीखने व उनके बताए रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प लेने का समय है. उनकी पूरी जिंदगी वंचित समुदाय के न्याय की लड़ाई को समर्पित है.
काॅ. केडी यादव ने का. राजाराम से अपने 52 वर्षों के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि संघर्ष की भट्टी में तपे तपाए और सादगी के प्रतीक का. राजाराम भाकपा-माले के एक प्रमुख स्तंभ थे. सामाजिक बदलाव के प्रति अटूट प्रतिबद्धता उनकी ताउम्र बनी रही. उनका निधन न केवल पार्टी बल्कि पूरे देश व समाज के लिए एक गहरी क्षति है.


छात्र जीवन में ही वे वामपंथी राजनीति के प्रभाव में आए और 74 के छात्र आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बनकर उभरे. आईपीएफ के महासचिव रहते हुए पूरे देश में एक से बढ़कर एक लड़ाइयां हुईं. न्याय की लड़ाई लड़ते हुए वे कई बार जेल गए और भयानक दमन झेला लेकिन वे अपने पथ पर लगातार अडिग रहे. 
श्रद्धांजलि सभा के उपरांत छज्जूबाग से उनकी अंतिम यात्रा जुलूस के शक्ल में निकली. उनके सम्मान में पार्टी का झंडा झुका दिया गया था और राजाराम अमर रहें के नारों के साथ उन्हें अश्रुपूर्ण आंखों से अंतिम विदाई दी गई.

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