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पटना। बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है, इससे प्रदेश में बाढ़ का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। राजधानी में गंगा का जलस्तर शुक्रवार को खतरे के निशान से महज दो सेंटीमीटर नीचे रह गया है। पिछले 24 घंटों में जलस्तर करीब चार सेंटीमीटर बढ़ गया है।
10 अगस्त को गांधी घाट पर जलस्तर 48.54 सेंटीमीटर था। यह 11 अगस्त को 48.58 सेंटीमीटर पहुंच गया, जो खतरे के निशान 48.60 सेमी को छूने के करीब है।
वहीं, दीघाघाट पर खतरे के निशान 50.45 सेमी की तुलना में जलस्तर 49.57 सेमी मापा गया। गुरुवार की तुलना में इसमें कमी आई है। हाथीदह में जलस्तर खतरे के निशान को पार गया है।
वहां खतरे के निशान से तीन सेंटीमीटर ऊपर गंगा बह रही है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, मनेर में भी जलस्तर में इजाफा हुआ है।
जलस्तर बढ़ने से सदर प्रखंड के तटीय क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। लोगों ने सुरक्षित स्थान की तलाश शुरू कर दी है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि बचाव की तैयारियां की जा रही हैं।
प्रदेश भर में 15 अगस्त तक मानसून रहेगा मेहरबान
राजधानी समेत प्रदेश में मानसून सक्रिय है। इसके प्रभाव से सभी जिलों में वर्षा से मौसम सुहाना बना हुआ है। मानसून का प्रभाव राजधानी समेत प्रदेश में 15 अगस्त तक बने रहने की संभावना है।
इस दौरान हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार शनिवार को पांच जिलों पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया में अति भारी वर्षा को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं, पूर्वी चंपारण, शिवहर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया व सहरसा जिले में भारी वर्षा की चेतावनी है। पटना व आसपास इलाकों में मेघ गर्जन के साथ हल्की वर्षा की संभावना है।
अब जानिए बिहार की नदियों का हाल
बिहार में गंगा और कोसी सहित गंडक, बागमती, कमला बलान आदि नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है। इससे राज्य के कई प्रखंडों में बाढ़ की आशंका बनी हुई है।
मधुबनी जिले के झंझापुर में कमला बलान तीसरे दिन भी लाल निशान 50 मीटर से 70 सेंटीमीटर ऊपर रही। दूसरी ओर बेनीपट्टी के करहारा गांव में धौंस नदी पर बना बांस का पुल बह गया है।
कोसी का जलस्तर कम हुआ है। शुक्रवार को समस्तीपुर में गंगा खतरे के निशान 45.50 मीटर से 13 सेमी ऊपर रही। बूढी गंडक में जलस्तर 24 घंटे में डेढ़ मीटर बढ़ गया है।
शिवहर में गांवों में घुसा पानी
शिवहर जिले के पिपराही, शिवहर व तरियानी प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। शिवहर-ढाका स्टेट हाइवे (एसएच) पर पानी के बहाव के चलते आवागमन चौथे दिन भी ठप रहा।
बागमती नदी के मारड़ घाट पर पानी के तेज बहाव के कारण तरियानी और सीतामढ़ी तथा पिपराही और पूर्वी चंपारण के जिहुली के बीच भी आवागमन बाधित रहा।
गंडक नदी का पानी गांवों में घुसा
पश्चिम चंपारण में गंडक बराज से 1.53 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। पूर्वी चंपारण जिले में गंडक का पानी चंपारण तटबंध के अंदर बसे गांवों के निचले हिस्से में प्रवेश कर गया है।
सीतामढ़ी में सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं। दरभंगा में कोसी और कमला बलान के जलस्तर में भी वृद्धि जारी है। इधर, मुंगेर के असरगंज में नहर के पानी में दो बच्चे डूब गए।
इन्हें निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब दोनों की हालत खतरे से बाहर है। वहीं, अररिया जिले के कुर्साकांटा प्रखंड स्थित लैलोखर पंचायत की गदिया नदी में स्नान करने गई 13 वर्षीया किशोरी लापता हो गई।
कटिहार में महानंदा खतरे निशान के ऊपर
सहरसा में कोसी का जलस्तर कम हो रहा है। कटिहार में महानंदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर तो गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर नीचे है।
वहीं, मुंगेर में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। खगड़िया के जीएन तटबंध पर बने खारा धार जलद्वार के पास गंगा के जलस्तर में गुरुवार की संध्या छह बजे से शुक्रवार सुबह छह बजे तक 16 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है।
सिवान में सरयू-गंडक के जलस्तर में बढ़ोतरी
बूढ़ी गंडक के जलस्तर में भी पिछले 12 घंटे में 14 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। कोसी और बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। सिवान जिले में सरयू व गंडक नदी के जल स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
गुठनी व दरौली प्रखंड के करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। जलस्तर में वृद्धि होने से करीब 10 एकड़ में लगे धान, मक्का, अरहर, सब्जी आदि फसल बर्बाद होने के कगार पर हैं।
गोपालगंज का ऐसा है हाल
गोपालगंज में नेपाल के तराई इलाके में वर्षा के बाद बाल्मिकीनगर बराज से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण गंडक नदी का पानी दियारा के नए क्षेत्रों में फैल गया।
सारण जिले में गंगा, घाघरा व गंडक तीनों नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बेगूसराय जिले के शाम्हो, तेघड़ा, मटिहानी एवं बछवाड़ा प्रखंड के चमथा में गंगा का पानी तेजी से फैल रहा है। निचले इलाके में पानी रिहायशी इलाके तक पहुंच गया है।