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*नाट्यकला सिखाता है कि क्या, कब और कैसे बोलना है : निर्देशक परवेज़ यूसुफ़*
BINOD KARN
BEGUSARAI: माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन (MTF) बेगूसराय की नाट्य संस्था द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य कार्यशाला स्थानीय दिनकर कला भवन में सम्पन्न हो गया। कार्यशाला में आंगिक अभिनय, भाव एवं रस के साथ स्वर और संवाद पर अधिक बल दिया गया। अभिनेता व अभिनेत्रियों को न सिर्फ़ संवाद बोलने की कला सिखाई गयी बल्कि स्मरण शक्ति बढ़ाने की तकनीक भी बताई गई। क्या बोलना है, कब बोलना है और कैसे बोलना है ये अभिनेताओं को सिखना ही पड़ता है। केवल संवादों का आदान-प्रदान अभिनय नहीं है। मंच पर अभिनेताओं को कभी-कभी बिना संवाद के भी बहुत कुछ कहना होता है। दरअसल भावों और विचारों की ही सशक्त अभिव्यक्ति है नाट्यकला।
नाट्य निर्देशक परवेज़ यूसुफ़ ने कहा कि वर्तमान समय में हर फिल्ड के लोगों को समय-समय पर नाट्यकला का अभ्यास करना चाहिए। इससे उनका साॅफ्ट स्किल्स भी मजबूत होगा। आज अधिकांश फिल्ड में कम्युनिकेशन स्किल के साथ लीडरशिप स्किल, ग्रूपवर्क स्किल, टाईम-वर्क-स्ट्रेस मैनेजमेंट स्किल आदि की मांग बढ़ रही है जिसे नाट्यकला के विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।
कार्यशाला में जयवर्धन लिखित हास्य नाटक के संवाद अदायगी पर चर्चा की गई। आने वाले दिनों में परवेज़ यूसुफ़ के निर्देशन में माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन की ओर से इस नाटक की प्रस्तुति की जाएगी। कार्यशाला में हर्षवर्धन प्र. गुप्ता, दीपा कुमारी, कृष्णा, नीतिश कुमार, पिंटू कुमार, राहुल कुमार, संजीव कुमार, संटू कुमार, प्रदीप कुमार, अभिजीत कुमार, राजू कुमार, समीर, अलीशा, अभिनीत कुमार, राजा कुमार, सूरज कुमार आदि कलाकारों ने भाग लिया।
कार्यशाला में अमरजीत कुमार, मो. रब्बान, पंकज कुमार सिन्हा तथा मेहरून निशा ने सहयोग किया। समापन के अंत में कार्यशाला निर्देशक परवेज़ यूसुफ़ ने सभी अतिथियों, सहयोगियों तथा प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।