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BINOD KARN
BEGUSARAI : राज्य के शिक्षामंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि नौजवान अभ्यर्थियों को बिहार के शिक्षामंत्री भ्रमित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिन अभ्यर्थियों को सातवें चरण की नियुक्ति प्रक्रिया में शिक्षक पात्रता परीक्षा के परिणाम के प्ररिप्रेक्ष्य में शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु सरकार आश्वासन दे चुकी थी, उन्हें किस गुनाह के कारण तीसरी बार बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। लगता है कि सरकार ससमय नियुक्ति करना ही नहीं चाह रही है। केवल केन्द्रांश प्राप्ति की मजबूरी में सरकारी कर्मी के तर्ज पर नियुक्ति करने का दिखावा कर रही है।
उन्होंने कहा कि 2006 से नियुक्त शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष जिनकी सेवा 17 वर्षों से अधिक की है उनके लिए सेवा संरक्षण का कोई प्रावधन अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 में नहीं देना तथा सरकारी कर्मी को देय वेतन संरचना के बदले एक तथाकथित वेतन संरचना की घोषणा गैरसंवैधनिक एवं स्वेच्छाचारिता का द्योतक है। डॉ. राय ने कहा है कि सरकार को शिक्षक संगठनों के साथ वार्ता कर विवेकपूर्ण फैसला लेना चाहिए। पूर्व से कार्यरत शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को बिना शर्त राज्यकर्मी घोषित करते हुए उन्हें सप्तम वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्यकर्मी को देय वेतन एवं सुविधा की घोषणा अविलंब होनी चाहिए। अन्यथा की स्थिति में पूरे प्रदेश में शिक्षण व्यवस्था की अस्त-व्यस्तता की संपूर्ण जिम्मेवारी बिहार सरकार की होगी।