THN Network (Desk):
सभी नदियां व जलस्रोत गंगा जल के समान, नदियों में सिल्टेशन से आती है बाढ़ : रामशीष जी
बिहार को पहली बार मिला मेजबानी का अवसर, उत्तर बिहार प्रांत के कार्यकर्ताओं में उत्साह: सर्वेश कुमार
जल संरक्षण के 16 आयामों पर सम्मेलन में होगी चर्चा: रामाशंकर सिन्हा
गंगा ग्लोबल ज्ञान परिसर के बीएड काॅलेज में पत्रकारों को संबोधित करते हुए गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि गंगा धार्मिक आस्थाओं का प्राण है। किसी नदी, तालाब व कुंआ में क्यों न स्नान करें लेकिन शरीर पर जल पड़ते ही लोग हर-हर गंगे बोलते हैं। जल की महत्ता जीवन की रक्षा के लिए पीने तक सीमित नहीं है। शारीरिक स्वच्छता व उद्योगों के लिए भी जल की महत्ता है। उन्होंने कहा कि अगर इसकी स्वच्छता की रक्षा हम नहीं करते हैं तो यह मानव ही नहीं विभिन्न जीव-जंतुओं के लिए भी घातक होगा। इसलिए जब हम गंगा की समग्र चर्चा करते हैं तो जल संचय के विभिन्न स्रोतों को गंगा में समाहित मानते हुए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में गंगा ही नहीं अन्य नदियां भी अविरल थी। लेकिन मिट्टी व बालू के सिल्ट जमा होने से प्रवाह प्रभावित हुए हैं। इसके अन्य भी कारण हैं। सिल्टेशन से बाढ़ आती है। नदियों की अविरलता के लिए उसे आपस में जोड़ने के काम में तेजी लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 1986 में सरकार ने जल प्रदुषण की स्थिति पर विचार करना शुरू किया। आज तो केंद्र सरकार ने नमामि गंगा के तहत प्रोजेक्ट शुरू किया है। उन्होंने कहा कि इसके तहत सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) लगाना शुरू किया है, लेकिन इतना से काम नहीं चलेगा। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन सामाजिक भागेदारी के बिना कोई योजना सफलीभूत नहीं है। गंगा समग्र उद्योगों का विरोधी नहीं है लेकिन जल की रक्षा का हिमायती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शास्त्रों में गंगा नदी में अस्थि विसर्जन का उल्लेख है लेकिन शव या अधजले शव को विसर्जित करने से मना किया गया है। ऐसे कई मसलों पर जनजागरण की आवश्यकता है।
इस अवसर पर गंगा समग्र के उत्तर बिहार प्रांत संयोजक व राष्ट्रीय संपर्क प्रमुख सह दरभंगा स्नातक क्षेत्र के MLC सर्वेश कुमार ने कहा कि यह गौरव की बात है कि पहली बार गंगा समग्र के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन बिहार में हो रहा है। संगठन की ओर से गठित देश के 18 प्रांतों के लगभग 1000 (एक हजार) प्रतिनिधि भाग लेंगे। 10 फरवरी को दिन में एकत्रीकरण यानी लोग जमा होंगे। रात्री में पहला सत्र होगा। सम्मेलन के दौरान कुल 10 सत्रों में विभिन्न आयामों पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि यह संगठन सरकारी, गैर सरकारी फंड से नहीं बल्कि समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के सहयोग से चलती है। हमारा लक्ष्य अधिकाधिक लोगों को इस अभियान से जोड़ना है।
इस अवसर पर गंगा समग्र के राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा ने कहा कि गंगा समग्र पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, जैविक खेती, जल संरक्षण आदि 16 आयामों पर विशेष तौर पर काम करती। गंगा समग्र प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करती हैं। उन्होंने बताया कि गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रसाद सिंह उर्फ लल्लू बाबू, बेगूसराय के निवासी हैं इस कारण वे अभी मौजूद हैं। वहीं राष्ट्रीय महामंत्री डॉ आशीष गौतम हरिद्वार से आ रहे हैं। इसी तरह संगठन के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी 11 फरवरी को यहां पहुंच जाएंगे। सम्मेलन के आयोजन की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है।