बिहार डेस्क (THN Network)
दो साल बाद पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव हो रहा है। पूरा कैंपस चुनाव के रंग में रंगा है। कैंडिडेट वोट मांगने में व्यस्त हैं। स्टूडेंट्स चुनावी माहौल का आनंद ले रहे हैं। इस बार चुनाव मैदान में ABVP, छात्र जदयू, छात्र राजद, जन अधिकार छात्र परिषद, AISA, AISF समेत सभी विचारधारा की पार्टियां मैदान में हैं।
हर कोई अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि पटना यूनिवर्सिटी सियासत का एक ऐसा सेंटर है, जहां कोई भी दल या संगठन अपने एकाधिकार या वर्चस्व का दावा नहीं कर सकता है। यहां आज भी बाहुबल, धनबल और जाति का फैक्टर आइडियोलॉजी पर भारी है।
28 साल बाद 2012 से यहां छात्र संघ के नियमित चुनाव हो रहे हैं। 2012 से 2019 के बीच पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के 4 चुनाव हुए। इनमें एक बार भी अध्यक्ष पद किसी एक दल को लगातार दोबारा नहीं मिला। इतना ही नहीं सेंट्रल पैनल के 5 पदों पर भी किसी दल को बहुमत नहीं मिल पाया है। हर पद पर अलग-अलग दल के कैंडिडेट जीतते रहे हैं।