राष्ट्रीय कवि संगम में डा.अशोक बत्रा ने हिरनी के बिन जंगल सूना...सुनाकर सामाजिक तानाबाना पर किया प्रहार
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राष्ट्रीय कवि संगम में डा.अशोक बत्रा ने हिरनी के बिन जंगल सूना...सुनाकर सामाजिक तानाबाना पर किया प्रहार




BINOD KARN


BEGUSARAI : बेगूसराय के वीणा वैंक्यूट हाल में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय कवि संगम का प्रांतीय अधिवेशन न सिर्फ नवोदित कवियों को मंच देने में सफल रहा बल्कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवियों को भी सुनने का अवसर प्रदान किया। कहने को तो पूर्व मंत्री व विधायक ने भी कार्यक्रम में भाग लिया, लेकिन खासबात यह रही कि दोनों नेताओं ने अपने भाषण में राजनीतिक शब्दों को लेसमात्र भी उपयोग नहीं किया। गौरतलब हो कि वीणा वैंक्यूट हाल बिहार के विभिन्न जिलों से आए 200 से अधिक कवियों की उपस्थिति का गवाह बना। कवि सच्चिदानंद पाठक ने स्वागत भाषण में शब्दों के तानाबाना बुनकर सभागार में उपस्थित कवियों को स्तब्ध कर दिया।

दूसरे सत्र का उद्घाटन पूर्व मंत्री राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री व हास्य कवि अशोक बत्रा, अंतरराष्ट्रीय स्तर के वीर रस के कवि अर्जुन सिसोदिया, औरैया यूपी से आए राष्ट्रीय स्तर के कवि अजय शुक्ला अंजाम, प्रांतीय संरक्षक व पूर्व मंत्री रामसूरत राय, बेगूसराय इकाई के संरक्षक व मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह, प्रांतीय संरक्षक शिवकुमार केजरीवाल, प्रांतीय अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय, बेगूसराय जिला इकाई के संरक्षक अभिषेक कुमार, साहित्यकार अशांत भोला, जिलाध्यक्ष बृजबिहारी मिश्र सहित अन्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। 


मौके पर पूर्व मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम ने कवियों और नवोदित कवियों को एक प्लेटफार्म दिया है। यहां प्रतिभाओं को सम्मान मिलता है। छोटे छोटे लोगों को भी यहां मंच मिलता है। जिससे उसके प्रतिभा में निखार आए। नई पौध को तैयार करने का यह संगठन बेहतर तरीके से काम करता है। वहीं मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह ने कहा कि दिनकर ने सभी काल और परिस्थितियों का वर्णन अपने कविताओं में किया है। उन्होंने दिनकर जी की एक कालजयी रचना भी सुनाई। कहा दिनकर की पंक्तियां हमेशा प्रासंगिक रहेगी। 


हास्य कविताओं पर लोगों ने लगाए ठहाके

दूसरे सत्र डा. अशोक बत्रा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साहस का वर्णन करते हुए -कामनाओं सी धधकती है जवानी... सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी रचना यूं तो मेरे देश में एक नहीं हजार मोहन हुए उनमें एक मुरली बजाने वाला मोहन कृष्ण, दूसरे मोहनदास करमचंद गांधी, तीसरे मनमोहन और चौथे शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा जो दिल्ली आतंकी हमले में शहीद हुए ने खूब तालियां बटोरी। वही हास्य कविताओं में उन्होंने हिरनी के बिन जंगल सूना, हिरनी जैसा दौड़े कौन, घर भूखे बाघों के आगे, अपनी हिरनी छोड़े कौन, सुनाते हुए लड़कियों की सुरक्षा व्यवस्था और सामाजिक ताना-बाना पर तंग कसा। उनकी रचना पीने वाला जल ही था, नगर निगम का नल ही था, निकल के सांप गिरा टब में, पुण्य कर्म का फल ही था खूब सराही गई। वीर रस के कवि अर्जुन सिसोदिया ने देशभक्ति पर उच्च कोटि की कविता एवं गीत प्रस्तुत की।कवि डॉ अर्जुन सिसोदिया ने अपनी पंक्ति से सराबोर कर दिया। उन्होंने मचा हुआ हाहाकार छाया घोर अंधकार। धुंधली दिशाओं को प्रकाश की जरूरत है। भारत को कल भी सुभाष की जरूरत थी। भारत को आज भी सुभाष की जरूरत है। प्रस्तुत कर सबको झकझोर दिया। वही डॉ अजय शुक्ल अंजाम ने चेतक कविता सुनाकर पूरे सदन को जोश से भर दिया। उनकी पंक्ति टपटपाक टपटपाक पद चाप सुनाई देती थी। वो नीले घोड़े का सवार तूफान दिखाई देता था।  जिस ओर निकल जाता चेतक शमशान बना देता था। उनकी पंक्ति कठिन परिश्रम ही जीवन में सब खुशियां लाया करता है, चले चलो 'टप टप टपाक' हर घोटक यह गाया करता है। बहुत तेज चलने वाला स्पंदन 'अंजाम' भले न पाए, जिनका रथ धीरे चलता है बहुत दूर जाया करता है। से लोगों में जोश भर गया। जबकि शिवाजी पर उन्होंने अपनी पंक्ति साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि, सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं, ‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के, नदी नद मद गैबरन के रलत है। ऐल फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल, गजन की ठैल पैल सैल उसलत हैं। तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि,

थारा पर पारा पारावार यों हलत हैं। प्रस्तुत की। जबकि दरभंगा से आए  बिनोद हसौड़ा ने मैथिली कविता पाठक कर लोगों का खूब हंसाया। श्रृंगार रस की कवयित्री आराधना ने मैं महकती हुई पंखुरी हो गई, जिंदगी प्रीत की अंजुली हो गई। उसकी सांसों को सांसों ने छू क्या लिया... उसके साजन की मै बांसूरी हो गई.... गाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। वही कवि प्रफुल्ल मिश्र ने सच है हम अपनी जिद पर आज भी अड़े हैं। मेरे सपने कल भी बड़े थे, आज भी बड़े थे। पढ़कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि बाल कवि केशव ने कलम वहीं जो कि करुणा, दया और प्यार लिखेंगी। कलम वहीं जो भूखे बच्चो के मन का चित्कार लिखेंगी। कलम वहीं जो वीर सैनिको का शौर्य और त्याग लिखेंगी, कलम वहीं जो भारत माँ कि सदा हि जय जयकार लिखेंगी को लोगों ने खूब सराहा। मौके पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता व संचालन हरियाणा के हास्य डॉ अशोक बत्रा, धन्यवाद ज्ञापन प्रांतीय अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय ने किया। मौके पर राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय संगठन मंत्री रवि नारायण, मंत्री अंकेश कुमार, सुधीर सिंह, नीरज सिंहा, सोशल मीडिया प्रभारी रविभूषण, बेगूसराय जिला इकाई के मार्गदर्शक संजय कुमार सिंह व कवि प्रफुल्ल मिश्र, डॉ शैलेंद्र शर्मा त्यागी, सच्चिदानंद पाठक, देवनीति राय, जिलाध्यक्ष बृजबिहारी मिश्र, महामंत्री अमरेश कुमार शिशिर, जिला संगठन मंत्री सह मीडिया प्रभारी विकास वागीश, जिला सचिव कवि विनोद व प्रकाश कुमार, जिला मंत्री रंजू ज्योति, कोषाध्यक्ष राकेश कुमार चौधरी महंत, फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप, शिक्षक राघवेंद्र कुमार, संजीत कुमार मुन्ना, डा. आर बी राय, सुमन कुमार ईश्वर, बछवाड़ा इकाई के कोषाध्यक्ष सरोज कुमार चौधरी, आलोक रंजन, सुरेश सिनॉय, ब्रजेश कुमार, रौशन कुमार, सहित अन्य मौजूद थे।

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