कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार के दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप पर सवाल उठाए हैं। दोनों कृषि रोड मैप नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'इन दोनों से राज्य के किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने भास्कर से फोन पर बातचीत में कहा कि दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप का लाभ-हानि का आकलन ही नहीं किया गया। ये दोनों फेल हो गए। न तो किसानों की आमदनी ही बढ़ी और न ही उत्पादन बढ़ा। यह तो नंगी आंख से दिख रहा है कि ये असफल रहे।'
बता दें कि मंत्री सुधाकर सिंह ने ही एक सभा में कहा था कि उनके विभाग में चोर भरे पड़े हैं और वे चोरों के सरदार हैं। इसके बाद कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी उनकी तनातनी हो गई थी।
बिहार और बाहर यानी दो संस्थाओं से अध्ययन कराया जाएगा
उन्होंने कहा कि बिहार और बिहार से बाहर की संस्था दोनों कृषि रोड मैप का सामाजिक और आर्थिक अध्ययन करेगी कि उसके सही परिणाम सामने क्यों नहीं आए? पहला कृषि रोड मैप महज 6 हजार करोड़ रुपए का था। जबकि दूसरा डेढ़ लाख करोड़ रुपए और तीसरा एक लाख करोड़ रुपए का था। इतने खर्च के बावजूद उत्पादन नहीं बढ़ा और जनसंख्या बढ़ती गई तो हमने क्या व्यवस्था की।
प्रति व्यक्ति को जो न्यूट्रिशन मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा होगा। नतीजा है कि राज्य के लोगों की एव्रेज हाइट अन्य राज्यों के मुकाबले नहीं बढ़ रही। इतना खर्च होने के बावजूद जब रिजल्ट नहीं हुआ तो हम देखेंगे कि आगे कृषि में किस तरह से खर्च किया जाए।