बिहार के बेगूसराय जिले में एक मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए दो लोग मंगलवार शाम को रोड से करीब 30 किलोमीटर गुजरे और करीब चार जगह पर रुककर 12 लोगों को गोली मार दी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है जबकि 11 अन्य जख्मी हो गए हैं। सीसीटीवी फुटेज में बछवाड़ा इलाके में दो लोगों को मोटरसाइकिल पर सवार होकर जाते हुए देखा गया है। बंदूकधारियों ने बरौनी तापघर चौक, बरौनी, तेघरा, बछवाड़ा और राजेंद्र पुल के पास अंधाधुंध गोलीबारी की। इतनी बड़ी वारदात से ना केवल बिहार बल्कि पूरा देश हैरान है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि बिहार के बेगूसराय जैसी जगह पर इस तरह की वारदात कैसे हुई है। बुधवार सुबह चाय की टपरी से लेकर हर चौक-चौराहे पर इस घटना का ही जिक्र हो रहा है। लोगों के मन में दहशत है तो उसके साथ कई तरह के सवाल भी हैं। लोग यह जानना समझना चाह रहे हैं कि इस तरह की वारदात के पीछे किसी अपराधी की मनोदशा क्या हो सकती है।
क्या साइकोपैथ पर्सनाल्टी हैं बेगूसराय गोलीकांड के आरोपी?
मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह बताती हैं- जी हां, बेगूसराय की घटना को प्राइमरी तौर पर देखें तो यह पूरी तरह से साइकोपैथ का मामला लगता है। जिस तरह से मीडिया में खबर आई है कि दोनों शख्स बाइक पर सवार होकर गोली चलाता जा रहा था। जो भी सामने आ रहा था उसे मारता जा रहा था। इससे पता चलता है कि उसके अंदर कितना अग्रेसन है। कितनी घृणा है उसके अंदर। ये बातें संकेत करती हैं कि वह शख्स पूरी तरह से साइकोपैथ पर्सनाल्टी है।
क्या यह समाज में डर का माहौल पैदा करने की सोच हो सकती है?
डॉक्टर बिंदा ने बताया कि अपराधीकरण के कई तरीके होते हैं। दहशत फैलाने के लिए घर के आगे भी चिल्लाया जा सकता है। कई ह्यूमन का नेचर होता है कि समाज और देश में दहशत फैलाकर आगे के मंसूबे को पूरा किया जाए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हाल ही में अफगानिस्तान में देखने को मिला। जहां तालिबान ने पूरे देश में पहले हर उस काम को किया जिससे समाज में उनकी दहशत फैले। इस केस में अपराधी की मंशा क्या थी यह तो उसकी गिरफ्तारी के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह डर पैदा करने का ही एक तरीका है। जरा सोचिए लोग वहां से गुजर रहे हैं और उनपर कोई गोली चलाकर चला गया। यह पूरी तरह से घृणित है। इस तरह की घटना का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि अगर इसमें जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो समाज में इस प्रवृति के दूसरे लोग भी इससे प्रेरित होंगे।
यहां एक बात और ध्यान देने की जरूरत है कि अगर दोनों अपराधी साइकोपैथ हैं तो वह इस तरह के अपराध को दोबारा अंजाम देंगे। वह लंबे समय तक छुपकर नहीं रह सकते हैं। क्योंकि अगर किसी की मंशा है दहशत फैलाना तो वह दिन के उजाले में भी इस तरह की वारदात को रिपीट करेंगे। अगर वह दिन के उजाले में वारदात को अंजाम देने नहीं आ रहा है तो साफ है कि उसको खुद की जान की भी परवाह है।
इंसान के अंदर बेगूसराय जैसी वारदात देने की भावना कैसे पनपती है?
डॉक्टर बिंदा ने बताया कि बेगूसराय जैसी वारदात को अंजाम देने की भावना इंसान के अंदर कई चीजों को लेकर पनप सकती है। पहला तो इंसान का फ्रस्टेशन होता है। कई बार फ्रस्टेशन इतना बढ़ जाता है कि वह अग्रेशन में बदल जाता है। ज्यादा अग्रेशन होने पर वह बगावती तेवर में बदल जाता है। हालांकि यह यह पर्सन टू पर्सन बदलता है। अगर कोई मानसिक रोगी होगा वह भी ऐसा कर सकता है। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं प्रतीत हो रहा है। मानसिक रूप से बीमार या साधारण शब्दों में कहें तो पागल शख्स 30 किलोमीटर तक बाइक चलाकर गोली नहीं चला सकता है। यह पूरी तरह से एंटी सोशल+साइकोपैथ का केस प्रतीत हो रहा है। इस तरह के लोगों के पारिवारिक माहौल को देखना जरूरी है।
लॉकडाउन के बाद युवाओं में तरह-तरह के नशा करने की आदत बढ़ी है। हो सकता है कि नशे की हालत में बेगूसराय गोलीकांड जैसे वारदात को अंजाम दिया गया है। ध्यान देने की बात यह है कि अगर अपराधी नशे की हालत में थे तो इतनी दूर बिल्कुल सही तरीके से बाइक कैसे ड्राइव करकर चले गए। जगह-जगह रुकरुक कर गोलियां कैसे चलाई। कुल मिलाकर देखें तो दोनों अपराधी की गिरफ्तारी के बाद ही इन सवालों का सही जवाब तलाशा जा सकता है।