BINOD KARN
BEGUSARAI : द फैक्ट आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय फैक्ट रंग महोत्सव 2 0 2 2 का समापन समकालीन कवियों की कविता पर आधारित नाटक अनुगूँज की सफलता पूर्वक मंचन के साथ समाप्त हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे देश के लब्ध प्रतिष्ठित रंग निर्देशक संजय उपाध्याय। समकालीन कवियों की कविता पर आधारित नाटक एक नाटय प्रस्तुति अनुगूँज दर्शकों पर अपना छाप छोड़ने में कामयाब रही। जिसमे चर्चित कवि रघुवीर सहाय, कुंवर नारायण, अष्टभुजा शुक्ल, अरुण कमल, कात्यायनी, सुधांशू फिरदौस, राजेश तैलंग, असलम हसन, श्रीकांत वर्मा, बिस्साव शिम्बोर्स्का, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, विनोद कुमार शुक्ल की रचनाएं शामिल है। सभी कविताएं समकालीन है और देश की राजनैतिक, आर्थिक समानता, पलायन, शासक व जनता के बीच के संवाद को प्रस्तुत करता है। कविता कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती है और मंच पर ये सजीव पात्रों की व्याख्या से अमूर्त रूप लेती है। कविता मंच पर केवल बौद्धिकता का प्रकोप नहीं दिखाती बल्कि दृश्य व श्रव्य माध्यम से कलात्मक वातावरण का निर्माण करती। जैसे रघुवीर सहाय द्वारा रचित रामदास कविता राजनैतिक सच्चाई को सामने रखने वाली कविता है। रामदास काल्पनिक चरित्र है, जो आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है।रामदास की हत्या केवल व्यक्ति की हत्या नहीं, यह हमारी सोच, लोकतंत्र व न्याय के प्रति आस्था की हत्या है।
अपने देश अपने प्रांत की ओर लौट रहे बेबस मजदूरों का दृश्य कोरोना महामारी के दौरान मजदूर की स्थिति प्रकट करती है कविता में।
अभिनेताओ में विशेष कर कृष्णा सोनिका ने सभी लोगों को काफी प्रभावित किया। चाहे आंगिक हो या भाव, सभी पर उनकी जबरदस्त पकड़ देखने को मिली। भूपेंद्र तिमसिना, आलम नूर, वैभव कुमार, चन्दन वत्स, सुशील कुमार कुमार, कमलेश ओझा, आनंद केशरी गुप्ता, चन्दन कुमार कश्यप इन कलाकारों ने अपनी प्रदर्शन से कविताओ को लोगों तक सहजता से पहुचाते है लोगों को अपनी अभिनय कुशलता से चमत्कृत करते हैं। प्रकाश परिकल्पना चिंटू कुमार ने बड़ी तन्यमता से दृश्य को प्रकाश से आलोकित किया। साउंड डिजाईन मो. रहमान ने नाटक अनुकुल किया। नाटय निर्देशक प्रवीण ने बड़ी कुशलता से जटिल कविताओं को बड़े खूबसूरती से दृश्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया और नाटक को बेहतरीन तरीके से रचा। आखिरकार हमारी सदी भी बीत चली है, इसे दूसरी सदियों से बेहतर होना था ,”बच्चे बड़े हो गये और बौना हो गया है पिता” ये पंक्तिया है।
समापन समारोह का नाटक से पूर्व उद्घाटनकर्ता देश के ख्यातिलब्ध नाटय निर्देशक संजय उपाध्याय, शिक्षाविद व संत जोसेफ स्कुल के निदेशक अभिषेक कुमार, युवा व चर्चित नाटयकर्मी बिज्येंद्र टांक भूमिपाल राय, कवि शेखर सावंत, बरौनी रिफाइनरी के हिंदी अधिकारी शरद जी,
फिल्म अभिनेता अमिया कश्यप, संस्था के अध्यक्ष बीआरके सिंह ( राजू भैया ), स्वागताध्यक्ष आर्यभट्ट के निदेशक प्रो. अशोक कुमार अमर ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर समापन समारोह का शुभारम्भ किया। नाटक देखने को मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह भी उपस्थित थे। मंच संचालन कुमार अभिजीत मुन्ना ने किया।