"एक कप चाय" के मंचन के बहाने जल संरक्षण, भ्रूणहत्या, भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार
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"एक कप चाय" के मंचन के बहाने जल संरक्षण, भ्रूणहत्या, भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार


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सातवीं से नौवीं कक्षा के छात्रों का यादगार प्रदर्शन,
निदेशक कुमार अभिजीत ने 13 दिनों में किया था प्रशिक्षित

विकास विद्यालय डूमरी में स्कूली बच्चों ने स्कूल के ही मंच पर दिखाया प्रतिभा

BINOD KARN 

BEGUSARAI : नाट्य कला में बेगूसराय वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान रखता है। यहां NSD से पासआउट कलाकारों की भी कमी नहीं है लेकिन शनिवार की शाम विकास विद्यालय डूमरी के छात्रों ने अपने स्कूल के मां तारा सभागार में जैसा प्रदर्शन किया उसे यादगार ही कहा जाएगा। नाटक के 13 पात्रों में 12 सातवीं से नौवीं तक तो महज एक + 2 कक्षा के छात्र थे। नाटक में कोई महिला पात्र शामिल नहीं है। पूरे एक घंटे के नाटक में बच्चों ने दर्शकों का ध्यान इधर-उधर नहीं होने दिया। एक घंटे का समय कैसे बीता यह पता ही नहीं चला। 
गौरतलब हो कि विकास विद्यालय की ओर से अपने स्कूली बच्चों के लिए 15 दिनों का नाट्य कार्यशाला आयोजित की जाती है। जिसका निर्देशन रिवाइवल संस्था के निदेशक कुमार अभिजीत करते हैं और विषयों को भी चुनते हैं। प्रत्येक वर्ष नाटक बदल जाता है।

रिवाइवल नाट्य संस्था के निर्देशन में मंचित नाटक 
विकास विद्यालय, डुमरी के निदेशक राजकिशोर सिंह की कविता संग्रह "एक कप चाय" पर आधारित है। जिसका नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन कुमार अभिजीत ने किया। 
मौके पर उदघाटन कार्यक्रम में लेखक, चिंतक, विचारक डॉ. चंद्रकांत प्रसाद सिंह (पूर्व डीन-I P यूनिवर्सिटी दिल्ली), उत्तर बिहार के जाने-माने एकमात्र हार्ट सर्जन डॉ. धीरज शांडिल्य, डॉ. रंजन चौधरी, डॉ. मुकेश कुमार, समाजसेवी विश्वरंजन कुमार सिंह उर्फ राजू भैया, अनिल जी (विभाग प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) राजकिशोर सिंह (मुख्य संरक्षक रिवाइवल) संजय कुमार सिंह ( बाईट कंप्यूटर) मुकेश कुमार BPSA, महामंत्री, सुरेंद्र जी BPSA बतौर अतिथि उपस्थित थे।

संस्था सचिव रजनी कुमारी एवं राजकिशोर सिंह ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र देकर किया। तदुपरांत अतिथियों ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का आगाज किया। रिवाइवल संस्था ने रिवाइवल लेखकीय सम्मान-2024 से राजकिशोर सिंह को अंगवस्त्र प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। मुख्य अतिथि डॉ चंद्रकांत प्रसाद सिंह ने कहा जब मनुष्य कबिलाई जीवन की शुरुआत किये उससे पहले ही भरत मुनि नाट्य शास्त्र की रचना कर चुके थे। नाटक जीवन का बिम्ब है, जीने का तरीका है। समाज की चारपाई है, नाटक समाज में सांस्कृतिक मूल्यों के मूल्यांकन का सबसे सटीक माध्यम है।

नाटक "एक कप चाय" लेखक राजकिशोर सिंह की सामाजिक अनुभूति है, जो वास्तविकता को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ती है, नाटक गांव, खेत, खलिहान, किसान की धरातलीय विविधता को ओढ़ते हुए एक समाज को नई अनुभूति नया चिंतन, धर्म, दर्शन, नीति, सुख:दुख को ईमानदारी के साथ बड़े ही सरल और कोमल शब्दों में कहती चली जाती है, नाटक लगातार कवि के दर्द को बुनता हुआ आगे बढ़ता है। नाटक में कवि एक साथ पूरे सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक चेतना को जी लेना चाहता है, इसलिए बार-बार सवाल खड़ा करता है। कभी खुद से कभी समाज से तो कभी सरकार से नाटक की हर पंक्ति में कवि खुद खड़ा है जो मौन रहकर पीड़ित होने से बेहतर विरोध के स्वर बुलंद करने की वकालत करता है। नाटक सत्य बोध और जीवन दर्शन का सापेक्ष विश्लेषण करता है। 

नाटक आस्था, अनास्था, आशा निराशा, प्यार घृणा, संघर्ष चिंतन, ज्ञात-अज्ञात हर मनोदशा को सामाजिक हालात और दृष्टिकोण की कसौटी पर कसते हुए अपने उत्कर्ष बिंदु पर पहुंचने की छटपटाहट लिए हुए है। कवि किसी वाद में खुद को न बाँधकर एक विचार खड़ा करना चाहता है। जिससे संघर्ष उपजे और वह संघर्ष रोटी के लिए, कपड़ा के लिए, अस्तित्व के लिए, सम्मान और इज्जत, भूख, इलाज, राजनीति के लिए हो। लेखक ने बड़े बेबाकी से अपने बातों को रखने का साहस किया है। नाटक जहां चाय की महत्ता बताती है, वहीं भ्रूणहत्या, भ्रष्टाचार, जल संरक्षण आदि विषयों को लेकर समाज को सचेत भी करता है।

नाटक का सह निर्देशन रजनी कुमारी, वस्त्र विन्यास अमृता देवी, म्यूजिक राजेश कुमार, साउंड चंदन कुमार, प्रवीण कुमार पोद्दार ने किया। नाटक में वैभव, दीपक, अंकित कुमार, अविनाश, लक्ष्य राज, रचित राज, रजनीश कुमार, आदर्श कुमार, प्रतीक कुमार, अनिकेत सुलभ, मिहिर मानस ने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। सभी ने अपने शानदार अभिनय से खूब तालियां बटोरी। पूरे कार्यक्रम का संचालन कवि व अभिनेता दीपक कुमार ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन संस्था के मुख्य संरक्षक राजकिशोर सिंह ने किया।

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