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Night जनता दरबार! ज़ी हां बखरी थाना पर शनिवार को लगा Night जनता दरबार। फरियाद सुनने के लिए SHO भी बैठे और CO भी। क्या है पूरा माजरा और क्या हुआ फैसला? आइए पढ़ते हैं पूरी रिपोर्ट :
BAKHRI/BEGUSARAI : सरकार की ओर से भूमि विवाद संबंधी मामलों के निपटारे के लिए शनिवार दोपहर को निर्धारित समय पर बखरी थाना पर जनता दरबार का आयोजन अंचलाधिकारी के कहीं व्यस्त रहने के कारण नहीं पहुंच पाने की वजह से आयोजित नहीं हो सका। इस कारण शनिवार के लिए निर्धारित मामलों की सुनवाई नहीं हो सकी और पक्षकार लौट गए। लेकिन जमीन बंटवारा संबंधी एक मामले की पक्षकार महिलाएं शनिवार को ही सुनवाई किए जाने की मांग को लेकर बखरी थाना पर डट गई। दोपहर से शाम हो गया। रोजेदार महिलाओं ने थाने पर ही रोजा खोला और जमी रहीं। SHO हिमांशु कुमार सिंह के बहुत समझाने पर भी कि आज वह घर लौट जाएं और दूसरे दिन उनके मामले को सुलझा दिया जाएगा, वो नहीं मानी और तब तक बैठी रहीं जब तक CO शिवेंद्र कुमार थाना पर पहुंचे नहीं और उनकी सुनवाई हुई नहीं।
नतीजतन उस एक मामले को लेकर बखरी थाना में शनिवार Night जनता दरबार लगा। फरियादियों की सुनवाई हुई। हालांकि कोई फैसला नहीं हो सका। बताया जाता है कि अंचलाधिकारी ने मामले के निपटारे के लिए 15 दिनों का समय मांगा है। जबकि मामले की एक पक्षकार का कहना है कि अंचलाधिकारी दूसरे पक्ष से मिले हुए हैं, इसलिए मामले को उलझाने के उद्देश्य से टाल-मटोल कर रहे हैं।
दरअसल, बखरी थाना पर लगे Night जनता दरबार की कहानी की पृष्ठभूमि मक्खाचक के चर्चित भूमि बंटवारा के मामले से जुड़ा है। जानकारों का कहना है कि बंटवारा का यह मामला मक्खाचक के मो. बारीक अंसारी मरहूम की संपत्ति से जुड़ा हुआ है। मो. बारीक ने कुल तीन शादियां की थी, और उनसे कुल 18 संतान हुए। जिसमें पहली पत्नी के संतानों और दूसरी-तीसरी पत्नी के संतानों के बीच जमीन बंटवारा को लेकर मामला फंसा हुआ है।
जानकार बताते हैं कि भूमि बंटवारा के इस पूरे विवाद की कहानी बखरी के अंचलाधिकारी शिवेंद्र कुमार द्वारा एक विवादित दाखिल खारिज दिनांक -22.04.2022 केस नं-1137/2021-22 से शुरू होती है। नियम, प्रक्रिया और बिहार भूमि दाखिल खारिज कानून-2011 को ताक पर रखकर किए गए इस दाखिल खारिज के कारण करोड़ों रुपए मूल्य की करीब पांच बीघा जमीन पर खूनी संघर्ष की स्थिति बन गई थी। उक्त दाखिल खारिज वाद में अंचलाधिकारी शिवेंद्र कुमार ने एक कथित 'फर्जी' हिब्बानामा के आधार मो. बारीक के कुल 18 संतानों में से पहली पत्नी से उत्पन्न पांच लड़कों के नाम पर मक्खाचक व बखरी मौजे के सभी खाता-खेसरा की जमीन कर दी और शेष दो पत्नी के संतानों के हिस्से को 'उड़ा' दिया था। इस खेल में मोटे लेन-देन की चर्चा भी पूरे अंचल में फैली हुई है।
हालांकि नियम-कानून को ताक पर रखकर किए गए इस विवादास्पद दाखिल खारिज केस को बखरी के भूमि सुधार उप समाहर्ता कोर्ट ने अपील वाद संख्या-05/2022-23 में 25 जनवरी को निरस्त कर दिया और सभी 18 भाई-बहनों और मां को हिस्सेदार मान लिया। फिर भी एक पक्ष दूसरे पक्ष को उसके हिस्से की जमीन देने को तैयार नहीं है।
अब ज्यादातर हिस्सेदार अपनी जमीन का बंटवारा करना चाहते हैं और बेगूसराय के DM और SP ने भी बखरी के अंचलाधिकारी शिवेंद्र कुमार और थानाध्यक्ष हिमांशु कुमार सिंह को इस बंटवारा विवाद का तुरंत निपटारा करने और सभी हिस्सेदारों को उसके हिस्से पर दखल कब्जा दिलाने के आदेश भी दे चुके हैं। लेकिन मामला सुलझ नहीं पा रहा है।