THN Network (Desk):
BINOD KARN
BEGUSARAI: बिहार सरकार के कला और संस्कृति विभाग के कैलेंडर में राजकीय महोत्सव के रूप में शामिल बेगूसराय का बहुचर्चित जयमंगला महोत्सव स्थानीय प्रशासन द्वारा दिलचस्पी नहीं लिए जाने की वजह से उदासीनता का शिकार हो चला है। वित्तीय वर्ष 2022 - 23 में अब तक जयमंगला महोत्सव के आयोजन के लिए बेगूसराय प्रशासन के द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है, जिससे इस वर्ष भी जयमंगला महोत्सव के आयोजन पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। बिहार सरकार के कला और संस्कृति विभाग के वार्षिक कैलेंडर में जयमंगला महोत्सव मंझौल बेगूसराय के लिए 15 लाख रुपये हर वर्ष आवंटित किए जाते हैं, लेकिन पिछले कई वर्षों से जयमंगला महोत्सव का आयोजन नहीं किया जाना बेगूसराय के राजनीतिक दलों के पॉलिटिकल विल पर सवाल खड़ा कर रहा है। अभी बिहार में आरजेडी - जेडीयू की सरकार है। चेरिया बरियारपुर के स्थानीय विधायक राजवंशी महतो सत्तारूढ़ दल के सचेतक भी हैं। इसके बावजूद अब तक राजनीतिक रूप से भी इस महोत्सव के आयोजन के लिए किसी तरह के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। महज 2 वर्षों के आयोजन में ही राजगीर और वैशाली महोत्सव की तरह ही जयमंगला महोत्सव को बहुत ख्याति मिल गई थी। लेकिन असमय जयमंगला महोत्सव का काल के गाल में समा जाना आश्चर्यजनक लगता है।
वर्ष 2017 में सबसे पहले मंझौल के शताब्दी मैदान में 18 मई को जयमंगला काबर फाउंडेशन ने जयमंगला महोत्सव का आयोजन किया था , जिसमें बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे और बिहार कोकिला पद्मभूषण डॉक्टर शारदा सिन्हा के सुरमई प्रस्तुति से इलाके का सांस्कृतिक पुनर्जागरण स्थापित हुआ था। इस कार्यक्रम में मशहूर प्लेबैक सिंगर तृप्ति शाक्य ने भी अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी थी ।
इसके बाद साल 2018 में 29 और 30 मार्च को राजकीय महोत्सव के रूप में जयमंगला महोत्सव का आयोजन बेगूसराय के तत्कालीन जिलाधिकारी जनाब नौशाद युसूफ ने सुनिश्चित करवाया । इस कार्यक्रम में बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समापन समारोह में शिरकत करने आए थे। बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग और बेगूसराय जिला प्रशासन के सौजन्य से आयोजित उक्त महोत्सव में मैथिली ठाकुर और मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति देकर लोगों को खूब गुदगुदाया था।
2 वर्ष जयमंगला महोत्सव के सफल आयोजन के बाद कोरोना की वजह से कई साल इस महोत्सव का आयोजन नहीं हो पाया।
2021 में तत्कालीन संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार ने 15 लाख रुपए के आवंटन की स्वीकृति प्रदान करते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद वर्मा से महोत्सव का आयोजन सुनिश्चित करने की पहल की थी लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से महोत्सव का आयोजन 2021 में भी नहीं हो पाया और पिछले वर्ष 2022 में भी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के पहल के बाद भी महोत्सव कराने में सफलता नहीं मिल पाई ।
जयमंगला काबर फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेश राज ने बताया कि जयमंगला हमारी अधिष्ठात्री हैं और उनके शान में चार चांद लगाने के लिए जयमंगला महोत्सव का आयोजन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
साल 2022 - 23 के वित्तीय वर्ष में भी स्थानीय लोगों को जिला प्रशासन से उम्मीद है कि वह 31 मार्च से पहले महोत्सव का आयोजन सुनिश्चित कराएं। इसके लिए मंझौल के अनुमंडल पदाधिकारी और बेगूसराय के जिलाधिकारी को प्रयास करना होगा, तभी राष्ट्रीय और राजकीय स्तर पर ख्याति पा चुके जयमंगला महोत्सव को न्याय मिल सकेगा।
जानकर बताते हैं कि बिहार सरकार के प्रक्रिया के अनुसार जिलाधिकारी बेगूसराय को प्रधान सचिव कला संस्कृति विभाग के नाम एक पत्र प्रेषित करना होगा कि जिला प्रशासन बेगूसराय 31 मार्च से पहले अमुक तिथि को जयमंगला महोत्सव का आयोजन करना चाहते हैं। कला संस्कृति विभाग पत्र के आलोक में 15 लाख रुपये के आवंटन की स्वीकृति तुरंत प्रदान करेगा।
गौरतलब है कि 2017 में तत्कालीन कला संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम ने जयमंगला काबर फाउंडेशन के अनुरोध पर जयमंगला महोत्सव मंझौल और दिनकर महोत्सव सिमरिया को बिहार सरकार के सरकारी कैलेंडर में शामिल किया था और उसके बाद ही इस कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ लेकिन बाद के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं और प्रशासनिक उदासीनता ने महोत्सव के आयोजन पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
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