BINOD KARN (THN Network)
BEGUSARAI : हिन्दी आलोचना के लब्ध प्रतिष्ठित आलोचक, साहित्यकार, JNU के पूर्व प्रोफेसर व जसम के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मैनेजर पांडेय को दिनकर की धरती पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
जिला प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ व जन संस्कृति मंच द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सभा में जिले के नामचीन हस्तियों ने हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचक साहित्यकार डॉ मैनेजर पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन सूरज भवन रिफाइनरी टाउनशिप में किया गया। उपस्थित लोगों ने सबसे पहले उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
मौके पर जसम के राज्य सचिव दीपक सिन्हा ने उनके साथ अपने वैचारिक सरोकार से संबद्ध स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि पांडेय जी हिन्दी के शीर्षस्थ आलोचक और सिद्धांतकार थे। उनके निधन से हिन्दी आलोचना की अपूरणीय क्षति हुई।जलेस के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि हिन्दी की प्रगतिशील जनवादी आलोचना को समृद्ध करने में डॉ. मैनेजर पांडेय का योगदान सदा स्मरणीय रहेगा। साहित्य के समाज शास्त्रीय अध्ययन को एक गंभीर शाखा के रूप में स्थापित करने में उनकी अहम् भूमिका थी। प्रलेस के राज्य कोषाध्यक्ष ललन लालित्य ने अपने श्रद्धांजलि वक्तव्य में कहा कि मैनेजर पांडेय अध्ययन एवं अध्यापन की व्यस्तताओं के बावजूद साहित्य आलोचना में निरंतर रचनात्मक रूप से हस्तक्षेप करते रहे। जी डी कॉलेज के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. अभिषेक कुन्दन ने अपने शिक्षक के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डॉ पांडेय जी पश्चिम की कई बहसों, सैद्धांतिक प्रस्थानों और भारतीय संदर्भ में उनकी उपयोगिता -अनुपयोगिता से हिन्दी की दुनियाँ को परिचित कराया। भक्ति काव्य से लेकर लोकप्रिय साहित्य, उनकी आलोचना का दायरा अत्यंत विस्तृत था।उनके साहित्यिक और वैचारिक अवदान सदा प्रासंगिक रहेगें।
इस मौके पर जलेस जिला सचिव राजेश कुमार, प्रलेस के उपाध्यक्ष कन्हाई पंडित, कार्यकारिणी सदस्य अमर शंकर झा सुब्बा, प्रत्यक्ष गवाह के संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह, गोपाल कुमार झा, अजय कुमार, शिबेश्वर रॉय, राकेश श्रीवास्तव, बैजू सिंह, चन्द्रदेव वर्मा समेत अन्य उपस्थित साहित्यकारों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। स्मृति सभा की अध्यक्षता प्रलेस के जिला उपाध्यक्ष रंगकर्मी अनिल पतंग, जलेस के कार्यकारी जिला अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर चौरसिया और जसम के जिलाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के अध्यक्षमण्डली ने की, जबकि ललन लालित्य ने संचालन किया। अंत में एक मिनट का मौन रख कार्यक्रम का समापन किया गया।