हेट स्पीच पर नेताओं को क्यों नहीं मिल पाती है आजम खान जैसी सजा?
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हेट स्पीच पर नेताओं को क्यों नहीं मिल पाती है आजम खान जैसी सजा?


 

नफरती भाषण, भड़काऊ भाषण या हेट स्पीच... ये शब्द पिछले कुछ सालों में आपने काफी ज्यादा सुने होंगे. किसी खास समुदाय या जाति के खिलाफ नेताओं के ऐसे बयान काफी तेजी से से बढ़े हैं. जिन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट कई बार फटकार और चिंता जता चुका है. हेट स्पीच का मामला अब एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान (Azam Khan) को हेट स्पीच मामले में दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा भी सुनाई गई है. 


अब तक आपने हेट स्पीच के मामलों में कोर्ट की फटकार या फिर पुलिस की एफआईआर के बारे में तो खूब सुना होगा, लेकिन कभी इतनी बड़ी सजा का मामला आपके सामने नहीं आया. इसका साफ कारण ये है कि हेट स्पीच के मामले तो आग की तरह बढ़ रहे हैं, लेकिन इनमें कन्विक्शन (दोषी करार दिया जाना) रेट काफी कम है. ये हम नहीं बल्कि आंकड़े कह रहे हैं. 


NCRB के चौंकाने वाले आंकड़े

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की हालिया रिपोर्ट में हेट स्पीच को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. इसमें बताया गया था कि पिछले सात सालों में हेट स्पीच के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. ऐसे मामलों में रिकॉर्ड 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. NCRB डेटा के मुताबिक साल 2014 में हेट स्पीच के सबसे कम 323 मामल दर्ज किए गए, जो साल 2020 में बढ़कर 1804 हो गए. ये हेट स्पीच के सबसे ज्यादा मामले थे. गौर करने वाली बात ये है कि ये वो मामले हैं जो पुलिस में दर्ज किए गए, कई मामलों में तो पुलिस तक शिकायत भी नहीं पहुंच पाती है. 


नेताओं के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले

हेट स्पीच और नेताओं का पुराना नाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में नेताओं ने जमकर राजनीतिक फायदे किए लिए इसका इस्तेमाल किया है. एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की 2018 की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश के 58 विधायकों और सांसदों ने ये माना है कि उनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं. जिसमें बीजेपी नेता सबसे ज्यादा संख्या में हैं. जिसमें बीजेपी के 17 विधायक और 10 सांसद शामिल थे. 

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