बिहार की राजनीति में बीते दिनों जो हुआ उसका अंदाजा किसी को भी नहीं था. यह कयास लगाए जा रहे थे कि जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.
राजनीतिक पंडितों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि जदयू नेता और सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल लेंगे. अगस्त महीने में राष्ट्रीय जनता दल के साथ फिर सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार को लेकर अब राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की बात शुरू हो गई है.
कई राजनीतिक बैठकों और प्रेस वार्ताओं में उनसे सवाल किए गए कि क्या वह साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार होंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कभी स्पष्ट जवाब तो नहीं दिया लेकिन उनके हालिया दिल्ली के दौरे से हालात कुछ स्पष्ट हो रहे हैं.
क्या नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में कामयाब रहेंगे?
हां - 44%
नहीं - 56%
एबीपी न्यूज और सी वोटर ने जनता का मूड जानने के लिये सर्वे किया. सर्वे में सवाल किया गया कि क्या नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में कामयाब रहेंगे? इस सवाल के जवाब में 44 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया है. जबकि 56 फीसदी लोगों ने नहीं में जबाव दिया है.
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नीतीश प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनते हैं तो बीजेपी को फायदा या नुकसान?
फायदा -53%
नुकसान - 47%
इस सर्वे में यह पूछा गया कि अगर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनते हैं तो बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान. इस सवाल के जवाब में 53 फीसदी लोगों ने कहा कि फायदा होगा जबकि 47 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे बीजेपी को नुकसान होगा.
दीगर है कि सीएम नीतीश कुमार दिल्ली का दौरा कर विपक्ष का चेहरा बनने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. जिस तरह से बिहार में राजनीति बदलाव हुआ और सरकार बदली गई. इसे देखते हुए विपक्षी पार्टी और खुद नीतीश कुमार दिल्ली की कुर्सी पर बैठने की रेस में आते दिख रहे हैं. बीते दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव बिहार दौरे पर आये थे. जिसके बाद नीतीश कुमार के विपक्ष का चेहरा बनने की अटकलें और तेज हो गईं.
इस सर्वे में 6,222 लोगों की राय जानी गई. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5% है.