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पटना। देश का नाम 'इंडिया या भारत' कहे जाने को लेकर सियासत तेज है। इस बीच बिहार में भी इसे लेकर बयानों की झड़ी लगी हुई है। हर पार्टी के अपने तर्क हैं। वहीं, इस मुद्दे पर भाजपा नेता सुशील मोदी और विजय चौधरी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बयान को लेकर आपस में भिड़ गए हैं।
दोनों ही नेताओं ने एक-दूसरे पर कड़ा प्रहार किया है। इधर, तेजस्वी यादव ने अपने बयान में भाजपा (BJP) पर निशाना साधा है। उन्होंने शोषितों और वंचितों को सम्मान देने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने जाति आधारित गणना को लेकर भी अपने विचार साझा किए।
हमारा नारा है जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मंगलवार को कहा कि वर्ण व्यवस्था लागू करने वाले यह नहीं चाहते कि समाज के उपेक्षित और वंचितों के सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाया जाए। जननायक कर्पूरी ठाकुर व लालू प्रसाद ने जमीन पर काम करके इन वर्गों को सामाजिक और राजनीतिक तौर पर सम्मान दिया।
इस कारण तरह-तरह की साजिश कर उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश की गयी पर अपने संकल्पों से ये लोग कभी नहीं डिगे। जगदेव प्रसाद की जयंती पर राजद कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से आइएनडीआइए बना है, तब से भाजपा के लोग डर गए हैं।
उन्होंने कहा कि जी-20 की बैठक के लिए जो निमंत्रण पत्र बंटे हैं, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है। जबकि हमारा नारा है जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया। भाजपा की क्या सोच है, वह स्पष्ट हो रही है। भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही इंडिया का उल्लेख है। भाजपा इसे भी बदलने पर उतारू है।
तेजस्वी ने कहा कि वंचित वर्गों के सामाजिक व आर्थिक तथा इनके आरक्षण की व्यवस्था को बढ़ाने के लिए महागठबंधन की सरकार ने बिहार में जाति आधारित गणना करायी। सही तस्वीर सामने आए, इसलिए यह गणना हुई जो अब पूर्ण होने को है। इससे जनकल्याणकारी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हमलोगों का उद्देश्य समाज के सभी लोगों को मुख्यधारा में लाने का रहा है। समाज में ऊंच-नीच की व्यवस्था क्यों है, इस पर लोगों को विचार करना चाहिए। विभेद की रेखा लंबी है। हमारी सरकार सभी के बराबरी और मान-सम्मान की बात करती है।
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा कि जब हम उपेक्षित और वंचितों को सम्मान देते हैं तो जातिवादी कहलाते हैं। इस मौके पर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने भी अपने विचार रखे।
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, प्रदेश महासचिव रणविजय साहू, विधायक राजवंशी महतो , फतेह बहादुर सिंह व राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता आदि भी इस मौके पर मौजूद थे।
संवैधानिक है भारत शब्द, जिनको आपत्ति वे इंडिया माता की जय करें
इधर, भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) ने इसे लेकर पलटवार किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि जी-20 सम्मेलन के अवसर पर आयोजित रात्रि भोज के लिए अंग्रेजी में लिखे आमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखे जाने के विरोध पर कहा कि यह भी सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति के विरोध की गहरी राजनीति का हिस्सा है।
मोदी ने कहा कि यह देश सदियों से भारत है, जबकि इंडिया (India vs Bharat) अंग्रेजों का दिया हुआ नाम है। विपक्षी गठबंधन के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करने की हद पार करते हुए अब भारत, सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति का भी विरोध करने पर उतर गए हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि संविधान मूलत: अंग्रेजी में लिखा गया, इसलिए उसमें भारत और इंडिया, दोनों शब्दों का प्रयोग हुआ। दुनिया में किसी भी देश के दो नाम नहीं हैं और नाम का अनुवाद नहीं होता, लेकिन अगर हम 75 वर्ष के भारत को अंग्रेजी में इंडिया लिखते आ रहे हैं, तो इसे ही सही नहीं कहा जा सकता।
सुशील मोदी (Sushil Modi) ने यह भी कहा कि हम भारत माता की जय बोलते हैं। विपक्ष अगर इंडिया माता की जय बोलना चाहता है, तो उन्हें कौन रोक रहा है। चक्रवर्ती राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है।
संविधान के प्रथम अनुच्छेद में ही देश का नाम इंडिया : विजय
उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chaudhary) ने भी भाजपा पर पलटवार किया है। उनका कहना है कि मुद्दाविहीन होने पर भाजपा सनातन धर्म या इंडिया-भारत (India vs Bharat) की बात को तूल देने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी ने नादानी में सनातन धर्म के विनाश की बात की है तो गृह मंत्री समेत पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल एवं भाजपा द्वारा इसे राष्ट्रीय विवाद का विषय बनाया जा रहा है। ऐसा करके वे भी सनातन धर्म को प्रतिष्ठित या मर्यादित नहीं कर रहे हैं।
विजय चौधरी (Vijay Kumar Chaudhary) ने कहा कि सभी जानते हैं कि कोई धर्म करोड़ों लोगों की आस्था से सम्मानित होता है। इंडिया का नाम बदलकर भारत करने संबंधी संघ एवं भाजपा नेताओं के बयान पर उन्होंने कहा कि संविधान के प्रथम अनुच्छेद में ही देश का नाम इंडिया और भारत दोनों अंगीकार किया गया है।
राजनीतिक पसंद या नापसंद के कारण हम संविधान की अवज्ञा नहीं कर सकते। भाजपा नेताओं की न तो स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका थी और न ही संविधान निर्माण में। इसीलिए इन चीजों के प्रति उन लोगों में संवेदनशीलता का पूर्णत: अभाव है।
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