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VIKAS VERMA
महाराष्ट्र में जब शिवसेना जैसी मजबूत पार्टी में फूट पड़ी और एकनाथ शिंदे के रूप में महाराष्ट्र को एक मुख्यमंत्री मिला, तब कई लोगों को यकीन नहीं हुआ। आखिर कौन कल्पना कर सकता था कि, बाला साहब ठाकरे जैसी शख्सियत जो अपनी पार्टी पर पूरा कंट्रोल रखता था उसी की पार्टी में 1 दिन बगावत हो जाएगी! किंतु यह हुआ और उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी और के हाथ चली गई।
अभी इस घटनाक्रम को लंबा समय भी नहीं हुआ था कि शरद पवार जैसे दिग्गज की एनसीपी में फूट पड़ती नजर आई, अब अजित पवार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं।
शरद पवार जैसा दिग्गज राजनीतिज्ञ शह और मात के खेल में हार जाएगा ऐसी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी, लेकिन अभी जो तस्वीर नजर आ रही है वह यही बता रही है कि, बाजी पलट चुकी है और महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी पूरी तरह से समाप्ति की कगार पर है।
अब इसी कड़ी में बात करें बिहार की तो हाल ही में विपक्षी नेताओं की एकता की 'धूरी' बने नीतीश कुमार अपनी पार्टी के विधायकों और सांसदों से एक-एक करके हाथ मलते नजर आए तो क्या यह समझा जाए कि, महाराष्ट्र जैसा हाल कहीं बिहार की राजनीति में नजर न आए?
आखिर यह नामुमकिन तो नहीं है कि, खुद नीतीश की पार्टी में बुरी तरह से फूट पड़ जाए और उसके विधायक और सांसद बीजेपी के पाले में आ जाएँ ! जीतन राम मांझी पहले ही नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं, अगर ऐसा हुआ तो 2024 के पहले विपक्ष की हिम्मत बुरी तरह से सड़क पर बिखरी नजर आ सकती है। कर्नाटक में एक जीत से उत्साहित कांग्रेस कहां बीजेपी के मंसूबे ध्वस्त करने की प्लानिंग कर रही थी, लेकिन कहां अब उसके विपक्ष की एकता ध्वस्त नजर आ रही है, आप क्या सोचते हैं?
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Editor Vikas Verma