114वीं जयंती पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को बरौनी रिफाइनरी ने किया श्रद्धासुमन अर्पित
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114वीं जयंती पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को बरौनी रिफाइनरी ने किया श्रद्धासुमन अर्पित

 





BINOD KARN


BEGUSARAI : पद्मभूषण राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की 114वीं जयंती पर 23 सितम्बर को बेगूसराय में जीरो माईल बरौनी स्थित उनकी प्रतिमा पर रोशन कुशवाहा, जिला पदाधिकारी, बेगूसराय, आर के झा, कार्यपालक निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख, बरौनी रिफाइनरी, श्री तरुण कुमार बिसई, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन), जिला प्रशासन, इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी एवं मण्डल कार्यालय के अधिकारिगण और अन्य वरिष्ठ नागरिक ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। बरौनी रिफाइनरी राजभाषा हिन्दी को भी बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्य करती रहती है। राजभाषा हिन्दी के प्रति बरौनी रिफाइनरी के समर्पण की सराहना करते हुए दिनकर जी की 114वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति, सिमरिया ग्राम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बरौनी रिफाइनरी को "दिनकर हिन्दी सम्मान 2022" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राजकुमार सिंह, विधायक, मटिहानी, राम रतन सिंह, विधायक, तेघड़ा और शत्रुधन प्रसाद सिंह, भूतपूर्व सांसद, बेगूसराय ने आर के झा, कार्यपालक निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख, बरौनी रिफाइनरी को दिनकर स्मृति सभागार में पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर तरुण कुमार बिसई, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन), नीरज कुमार, वरिष्ठ प्रबन्धक (ईएमएस, सीएसआर) एवं  शरद कुमार, वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर सभी ने मिलकर दिनकर जी को श्रद्धासुमन अर्पित किया। इससे पूर्व 22 सितंबर 2022 को बरौनी रिफाइनरी द्वारा दिनकर जी के पैतृक आवास पर उनकी आदमकद प्रतिमा को स्थापित किया गया था जिसका अनावरण जिला पदाधिकारी, बेगूसराय द्वारा किया गया।

23 सितंबर 1908 को जन्मे रामधारी सिंह 'दिनकर' एक भारतीय हिंदी कवि, निबंधकार और देशभक्त थे, जिन्हें सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक हिंदी कवियों में से एक माना जाता है। उनकी कविता ने वीर रस का विस्तार किया, और उनकी प्रेरक देशभक्ति रचनाओं के कारण उन्हें राष्ट्रकवि ("राष्ट्रीय कवि) के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। श्री दिनकर की प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं, "कुरुक्षेत्र", "रश्मिरथी", "संस्कृती के चार अध्याय" और "उर्वशी" उन्हें "उर्वशी" के लिए भारती ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं "संस्कृती के चार अध्याय के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया था।

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