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आयुर्वेद चिकित्सा व जीवनशैली बदलने से पूरी तरह ठीक हो सकता है डायबिटीज
पंचकर्म चिकित्सा पर वैज्ञानिकों ने पेश किए कई रिसर्च पेपर, अग्निकर्म विधि से जोड़ो का दर्द में राहत
BINOD KARN
BEGUSARAI : रोल ऑफ आयुर्वेदिक मैनेजमेंट इन लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर विषय पर गुरुवार को बेगूसराय में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का आयोजन राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय की ओर से स्थानीय कैप्शन होटल में किया गया। राष्ट्रीय सेमिनार को जाने-माने वैज्ञानिकों ने संबोधित किया और बताया कि जोड़ों के दर्द में "अग्निकर्म " बेहतर उपाय हो सकता है।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा नई दिल्ली के प्राध्यापक डॉ रमाकांत यादव ने कहा कि जीवनचर्या में आए बदलाव के कारण भारत में 100 में से 14 आदमी मधुमेह से पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने टाइप वन एवं टाइप टू डायबिटीज की विशद व्याख्या करते हुए हल्दी, गिलोय और शिलाजीत के उपयोग को बेहतर उपाय बताया । उन्होंने मधुमेह रोगियों के औषधि मैनेजमेंट में अश्वगंधा एवं चित्रक के प्रयोग को उपयोगी बताते हुए कहा- यदि हम चाहें तो अपने लाइफस्टाइल के बदलाव करके अपने मधुमेह रोग को ठीक रख सकते हैं।
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदा के डॉक्टर संतोष कुमार भट्टेड ने कहा कि पंचकर्म ऐसी विधा है जो हमारे जीवन को बेहतर बना सकती है ।उन्होंने इसकी विशद व्याख्या करते हुए पंचकर्म के क्लीनिकल अनुसंधान और उसमें हुए विभिन्न रिसर्च पेपर को प्रस्तुत किया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर अजय पांडेय ने मधुमेह की प्रारंभिक अवस्था को आयुर्वेद के दावों से पूर्णतया ठीक होने वाला बताते हुए कहा कि यदि हम प्रारंभिक अवस्था में ही आयुर्वेद की दवाओं का उपयोग करें तो मधुमेह रोगी ठीक हो सकता है। डॉक्टर पांडे ने उपस्थित जनसमूह को अपने लाइफस्टाइल को बदलने की सलाह दी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रोफेसर सी एस पांडेय ने कहा कि मधुमेह को जीवन शैली में बदलाव लाकर ठीक रखा जा सकता है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉक्टर पंकज कुमार भारती ने पेन मैनेजमेंट पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि विभिन्न प्रकार के जोड़ों एवं अनेक विकारजन्य की वेदनाओं को अग्निकर्म चिकित्सा के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने अग्निकर्म में उपयोग होने वाले विभिन्न तरह के यंत्रों के मानकीकरण पर अनुसंधान पत्र प्रस्तुत किया।
इस राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार के संचालन का भार प्राचार्य डॉक्टर श्रीनिवास त्रिपाठी ने महाविद्यालय के आंख, नाक, कान एवं गला विभाग के प्रभारी प्राध्यापक डॉक्टर मुन्ना कुमार को सौंपा था, जिन्होंने वैज्ञानिक सत्र के विभिन्न व्याखानों के बाद अपना मंतव्य एवं अपने अनुभवों को उपस्थित प्रतिनिधियों से शेयर कर उपस्थित लोगों के ज्ञान में वृद्धि किया। समारोह के आयोजक सचिव डॉक्टर संतोष कुमार सिंह ने आयोजन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आयोजन के सचिव डॉक्टर लाल कौशल कुमार ने वैज्ञानिक सत्र के संचालन में मदद की।
समारोह के अंत में रात में छात्रों एवं छात्रों के द्वारा राष्ट्रभक्ति पर आधारित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को शामिल किया गया था।