बिना जमाबंदी पैतृक जमीन की रजिस्ट्री पर रोक से बिहार में हाहाकार
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बिना जमाबंदी पैतृक जमीन की रजिस्ट्री पर रोक से बिहार में हाहाकार

THN Network

जमाबंदी- दाखिल खारिज (Mutation) के बिना बिक्री-रजिस्ट्री नहीं होने से सरकार का राजस्व 90 फीसदी गिरा



VIKAS VERMA


PATNA : बिहार में स्वयं के नाम के बिना जमाबंदी पैतृक जमीन (Ancestral Property) की बिक्री - रजिस्ट्री पर रोक लगने से दो हफ्ते में ही हाहाकार मच गया है। जमीन बेचने, खरीदने वालों से लेकर कातिब-मुंशी और स्टांप वेंडर तक सब हलकान हैं। पैतृक जमीन की खरीद- बिक्री नहीं होने से रजिस्ट्री दफ्तरों में कामकाज लगभग ठप हो गया है। 

रजिस्ट्री दफ्तरों में पसरा सन्नाटा

 पूरे बिहार के रजिस्ट्री दफ्तरों में बीते 22 फरवरी से ही सन्नाटा पसर गया है। कई रजिस्ट्री दफ्तरों में किसी किसी दिन एक भी रजिस्ट्री नहीं हो रही है और यही हालत रही तो बिहार के कई रजिस्ट्री दफ्तरों पर ताला लटक सकता है। रजिस्ट्रारों के मुताबिक 90 फीसदी जमीन की रजिस्ट्री कम हो गई है। मार्च महीने में सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन इससे भी बढ़कर ऐसे भू-स्वामी जो अपनी पैतृक जमीन बेचकर बेटियों की शादी करने वाले थे और जिनके घर गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज जमीन बेचकर करने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं था या किसी अन्य जरूरी काम के लिए जमीन बेचना चाह रहे थे, वह रजिस्ट्री पर रोक लगाने के सरकार के फैसले से बेहद मुसीबत में फंस गए हैं। ज़ाहिर तौर पर इस लगन में बेटियों की शादियां और बीमारों के इलाज जैसे जरूरी काम रूक गए हैं। चारों ओर हाहाकार मचा है। जिन पैतृक जमीन-जायदाद की बिक्री का एग्रीमेंट पहले से बना हुआ था और खरीददारों ने एडवांस दे रखा है, उनकी रजिस्ट्री का काम भी रूक गया है।

सरकार व हाईकोर्ट के आदेश से पैतृक जमीन की रजिस्ट्री पर लगी है रोक

दरअसल, पैतृक जमीन की बिक्री पर रोक का ताजा आदेश पटना हाईकोर्ट का है। 
लेकिन मूल आदेश 2019 में बिहार सरकार के निबंधन विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव के के पाठक का ही था, जिसपर पटना हाईकोर्ट ने फरवरी के दूसरे हफ्ते में मोहर लगा दी थी। इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने 2019 में सरकार के उक्त आदेश पर स्टे ऑर्डर दे दिया था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने ना सिर्फ उक्त स्टे को वापस ले लिया बल्कि पैतृक जमीन की रजिस्ट्री पर रोक को सही ठहरा दिया है। 

क्या है रजिस्ट्री का नया नियम और क्या है सरकार का आदेश?

बिहार सरकार के साल 2019 के जिस आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने भी मोहर लगाई है, उस आदेश के जमीन की रजिस्ट्री के लिए नया नियम लागू किया गया है। इस नियम के मुताबिक बिहार में सिर्फ ऐसी जमीन की रजिस्ट्री ही हो सकती है, जिसमें जमीन बेचने वाले के नाम से बिक्री की जाने वाली खेसरे की जमीन की जमाबंदी, दाखिल खारिज व रसीद होगी। यानी ऐसी पैतृक जमीन की बिक्री ही विक्रेता कर सकता है जिस पैतृक जमीन का जमाबंदी लगान रसीद उसके नाम पर होगा। हालांकि शहरी क्षेत्रों को इस नियम से अलग रखा गया है और शहरी क्षेत्रों में नगर निकायों से होल्डिंग नंबर प्राप्त संपत्तियों की खरीद बिक्री हो सकती है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस संबंध में रजिस्ट्रारों में कन्फ्यूजन है और 22 फरवरी के आदेश के बाद से शहरी क्षेत्रों में भी होल्डिंग नंबर प्राप्त पैतृक संपत्तियों की रजिस्ट्री भी नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं रजिस्ट्रार स्वयं के नाम से खरीदी गई व जमाबंदी- रसीद वाली जमीन की बिक्री करने वालों की रजिस्ट्री भी नहीं कर रहे हैं, जिस जमाबंदी में एक से अधिक खेसरा दर्ज है। इसके अलावा यदि जमाबंदी रसीद एक से अधिक भाइयों की साथ-साथ चल रही है तो यदि उसमें कोई एक भाई अपने हिस्से की जमीन बेचना चाहें तो भी जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। यहां तक कि यदि एक व्यक्ति का दो नाम है और दोनों नाम यदि जमाबंदी रसीद पर चढ़ा हुआ है तो भी जमीन की रजिस्ट्री पर रजिस्ट्रारों ने रोक लगा दी है। जमाबंदी -रसीद और आधार कार्ड में नाम में अंतर होने पर एफिडेविट देने पर भी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगी हुई है।

पैतृक जमीन की बिक्री-रजिस्ट्री के लिए अब क्या करना होगा?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिहार में 90 फीसदी पैतृक जमीन की जमाबंदी पूर्वजों के नाम से ही चली आ रही है। ऐसी जमीन की बिक्री -रजिस्ट्री करने के लिए सबसे पहले पैतृक जमीन के सभी हिस्सेदारों को जमीन का बंटवारा करना होगा। इसके साथ वंशावली बनाना होगा। फिर जमीन के केवाला के साथ संबंधित अंचल कार्यालय में स्वयं के नाम से जमाबंदी कराने के लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। उक्त आवेदन और स्थल की जांच हल्का कर्मचारी करेंगे। फिर वह अंचल के सर्किल इंस्पेक्टर (CI) को अग्रसारित करेंगे। इसके बाद CI उसकी जांच कर करेंगे। इसके बाद उनकी रिपोर्ट पर अंचलाधिकारी (CO) जमाबंदी कायम करने या नहीं करने का फैसला लेंगे। यदि CO ने आवेदन अस्वीकृत कर दिया तो आदेश के खिलाफ DCLR कोर्ट में केस करना होगा। इसके बाद DCLR इस पर फैसला लेंगे। जमाबंदी कायम होने के बाद लगान रसीद कटाना होगा। इसके बाद ही कोई भी शख्स अपनी पैतृक जमीन की बिक्री-रजिस्ट्री कर सकेंगे।

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