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BINOD KARN
BEGUSARAI : दिनकर कला भवन में सुलोचना समाजिक संस्थान व RCPCM आर्ट एण्ड क्राफ्ट काॅलेज के तत्वाधान में आयोजित सात दिवसीय एक्सप्रेस समर कैंप के तीसरे दिन भी बच्चों ने नृत्य, संगीत व चित्रकला के विभिन्न क्रियाकलापों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। बेगूसराय द डाॅस गाॅडेन की निदेशक अमृता भारती ने बच्चों को कत्थक नृत्य की जानकारी दी, तो संगीत में संतोष प्रभाकर ने शास्त्रीय संगीत में बच्चों को लय और ताल के बारे में बतलाया। वहीं चित्रकला में नवोदय विद्यालय के पूर्व शिक्षक एवं राष्ट्रीय स्तर के चित्रकार इन्द्रमोहन प्रसाद ने बच्चों को चित्रकारी करने की बारिकियों से अवगत कराया।
इसके पूर्व परिचर्चा का उद्धघाटन लेखक अपर्णा झा, नवतरंग नाट्य संस्था के अध्यक्ष अनिल पतंग, राष्ट्रीय नाट्यकार व द फ्रेक्ट रंगमंडल के सचिव प्रवीण गुजंन, समाजसेवी कमल सिंह, समीर शेखर, चित्रकार इन्द्रमोहन प्रसाद, मनीश कौशिक सहित अन्य ने दीप प्रज्वलित कर किया। कला में भविष्य पर परिचर्चा करते हुए दिल्ली से पहुंची लेखक अपर्णा झा ने बताया कि कला एक सात्विक और शालिन विद्या है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़ा हुआ है इसकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी ने की थी और शिव इसके गुरू थे। आज के आधुनिक दौर में लोग इसे व्यापार का माध्यम बना लिया और फुहरता को कलात्मकता के नाम पर परोसा जा रहा है जो कि कला की हानी है और कला में भविष्य तलाशने वालों की भी नुकसान। उन्होंने कहा कि अगर कला को जिंदा रखना है तो फुहड़ता को कला से दूर भगाये।
वहीं नाट्यकार प्रवीण गंजन ने कला में भविष्य तलाशने वाले को बताया कि कला शिक्षा और विकास दोनों में महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है। आम तौर पर देखा जाता है कि लोग कला की उपेक्षा करते है क्योंकि वे मानते है कि ये बच्चों में केवल शौक है। कला में बच्चों का अगर शौक है तो आपको भी यह जानना चाहिए की कला को जानने वाले अपने आपकोे इस
तरह से संलग्न कर सकते हैं जो वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में समझ, सहानुभूति, बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास को प्रवाहित करता है।
तरह से संलग्न कर सकते हैं जो वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में समझ, सहानुभूति, बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास को प्रवाहित करता है।
अनिल पतंग ने कहा कि कला में भविष्य लोग खुद बनाते है। कला की तैयारी करना एक तनावपूर्ण काम हो सकता है लेकिन लाभ बहुत की अधिक प्राप्त कर सकता है। ऐसा करते समय कलाकारों को लगातार सकारत्मक और रचनात्मक दोनों तरह की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। आवश्यक जीवन शैली जैसे स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता, समय का ख्याल जल्द सीखने की क्षमता आदि उनकी उन्नति को बढावा देती है। मौके पर आरसीपीएम काॅलेज के सचिव रविन्द्र मनोहर, श्रेस्य मंडल, प्रवीण कुमार, प्रीति कुमारी, राजन कुमार सिन्हा, नंदन कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।