दिनकर कला भवन में विदेसिया का मंचन, सर्वेश कुमार ने कलाकारों को किया सम्मानित
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दिनकर कला भवन में विदेसिया का मंचन, सर्वेश कुमार ने कलाकारों को किया सम्मानित

THN Network (Desk): 








रंगमंच से समाज को मिलती हैं सकारात्मक ऊर्जा माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन का योगदान सराहनीय : MLC सर्वेश कुमार 


BINOD KARN

BEGUSARAI: माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन बेगूसराय की ओर से स्थानीय दिनकर कला भवन में रविवार को भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की अमर कृति लोक नाटक बिदेसिया को देखने दर्शकों की भीड़ अंत तक बनी रही। अभिनेता, निर्देशक, प्रशिक्षक रंगकर्मी परवेज़ यूसुफ़ के निर्देशन में प्रस्तुति का दर्शकों ने जमकर आनंद उठाया।

नाटक दिवंगत रंगकर्मी आर.टी.राजन, मदनद्रोण और विदेसिया के प्रथम प्रस्तुति की नायिका विभा वाला को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित था।
उद्घाटन नवनिर्वाचित उपमेयर श्रीमती अनीता राय, वार्ड-35 की पार्षद डाॅ. शगुफ़्ता ताज़वर, वरिष्ठ रंगकर्मी अवधेश, गंगा ग्लोबल बीएड काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. नीरज कुमार, संस्कृतिकर्मी व प्रभात तारा स्कूल के प्राचार्य हरिशंकर सिंह तथा संस्था के सचिव सह निर्देशक परवेज़ यूसुफ़ ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया। अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र तथा पुष्पगुच्छ देकर संस्था के कलाकारों ने किया। प्रस्तुति के अंत में दरभंगा स्नातक क्षेत्र से MLC सर्वेश कुमार ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया। सभी अतिथियों ने माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन बेगूसराय के कलाकारों को शुभकामनाएं दी और कहा कि रंगकर्म से समाज को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। सभी ने निर्देशक परवेज़ यूसुफ़ के प्रयासों की सराहना की। नाटक का मंचन दर्शकों के लिए होता है। परवेज यूसुफ ने कहा कि अभिव्यक्ति का सबसे खूबसूरत और सशक्त माध्यम है रंगमंच। 

नाटक का सार

भिखारी ठाकुर की अमर कृति लोक नाटक बिदेसिया आज भी प्रासंगिक है पलायन को लेकर। कथानक के अनुसार कहानी का नायक अपनी पत्नी को गांव में छोड़कर प्रदेश (कोलकाता) चला जाता है और वहां दूसरी शादी कर लेता है। दूसरी तरफ गांव में पत्नी विरह वेदना के साथ त्रासदी झेलती है तथा बटोही के माध्यम से नायक को गांव वापस बुलवाती है। अंत में दूसरी पत्नी भी गांव चली आती है। कुल मिलाकर स्वस्थ मनोरंजन के साथ गंभीर विषय की ओर इशारा है लोक नाटक विदेसिया। 

नायक/विदेसी की भूमिका को निर्देशक परवेज़ यूसुफ़ ने स्वयं निर्वाह किया। प्यारी सुन्दरी की भूमिका में सुशीला कुमारी, दूसरी पत्नी की भूमिका में एकता भारती तथा बटोही की भूमिका में कृष्णदेव कुमार दर्शकों को अंत तक बांधने में कामयाब रहे। वहीं महिला एक- गुड़िया कुमारी, महिला दो- दीपा कुमारी, महिला तीन- पूनम कुमारी व महिला चार की भूमिका नूतन कुमारी, सूत्रधार की भूमिका में संजीव कुमार, दोस्त/जोकर तथा नर्तक की भूमिका में सीताराम कुमार, बबुआ ढब-ढब की भूमिका में राहुल कुमार, नीतिश कुमार व अमरेश कुमार, बिहारी की भूमिका में अजीत कुमार, बंगाली की भूमिका में पिंटू कुमार, नाई एवं ट्रैफ़िक वाला की भूमिका में हर्षवर्धन प्रसाद गुप्ता, देवर की भूमिका कृष्णदेव कुमार, ग्रामीण एवं कोरस में दिवाकर झा, अमरेश कुमार, नीतिश कुमार, राहुल कुमार, गुड़िया कुमारी, दीपा कुमारी, पूनम कुमारी ने अपनी-अपनी भूमिका से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। 
संगीत संचालन एवं मुख्य स्वर था सुनील कुमार का। नाल पर संगत किया नन्दराज कुमार ने, बांसुरी वादक मृणाल कुमार व विभूति तथा प्रकाशन पर थे कृष्णदेव कुमार। महिला स्वर था सुशीला कुमारी तथा नूतन कुमारी का। 
रूपसज्जा- सीताराम कुमार, वस्त्र विन्यास- मेहरून निशा, प्रकाश व्यवस्था एवं संचालन- सचिन कुमार एवं मनोज कुमार, सहयोगी में गौश परवेज़, अलीशा, सांटू  कुमार, रजनीश कुमार तथा केयर टेकर पंकज कुमार सिन्हा आदि। मंच संचालन अलका वाला सिन्हा ने किया।

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