मुंबई से दुबई तक छठ पूजा की छटा, अमेरिका के न्‍यू जर्सी व आस्‍ट्रेलिया में भी मची धूम - Chhath Pooja
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मुंबई से दुबई तक छठ पूजा की छटा, अमेरिका के न्‍यू जर्सी व आस्‍ट्रेलिया में भी मची धूम - Chhath Pooja


लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा विदेशों में भी खूब है। बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से विदेशों में गए प्रवासी भारतीय विदेश की धरती पर छठ का पर्व मना रहे हैं। बिहार की धरती से दूर रहते हुए भी लोग अपनी संस्कृति की सोंधी महक बरकरार रखने में लगे हैं। बिहार से बाहर मुंबई से दुबई तक छठ की धूम है।

विदेश में कई एनजीओ भी जुटे तैयारी में 

विदेश में रहने वाली भारतीय जो छठ में घर नहीं आ पाए, वे अपनी ही जगह छठ की महिमा के बारे में लोगों को अवगत कराने में लगे हैं। वहीं दूसरी ओर कई संस्थाएं भी विदेश की धरती पर छठ महापर्व को संपन्न कराने में अपना योगदान देने में लगी हैं। 

दुबई के ममजार तट बिखरेगी छठ की छटा 

छठ व्रत पर प्रवासी बिहारी व अन्य भारतीय छठ पर्व को विदेशों में जीवंत रखने का कार्य करने में लगे हैं। पटना के रहने वाले एनआरआई व दुबई के दीनदयाल फाउंडेशन के संस्थापक रविशंकर चंद की मानें तो दुबई में बिहार के लोगों ने कई संस्थाएं बनाई हैं।

इसमें भोजपुरिया, मिथिला समाज व अन्य जिलों के लोग हैं। इन लोगों ने 15 वर्ष पूर्व छठ पूजा की शुरुआत की थी, जो आज भी जारी है। इस बार दुबई के ममजार बीच पर प्रवासी भारतीय धूमधाम से छठ महापर्व को मनाने में लगे हैं। वहीं संस्था की ओर से छठ की पूजन सामग्री व्रतियों के बीच वितरित किया जा रहा है।

अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में भी भी छठ पूजा

अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में बिहार की रहने वाली भारती तिवारी हर साल छठ करती हैं। भारती तिवारी के पति डॉ तारकेश्वर तिवारी पेन्सिलवेनिया में नेफ्रोलॉजिस्ट हैं। अमेरिका में भोजपुरी भजनों एवं गानों की धूम मचाने वाली स्वस्ति पांडेय भी उनके घर आकर छठ पूजा कर रही हैं। तारकेश्‍वर तिवारी बक्सर जिले के सोनबरसा निवासी शिवजी तिवारी के पुत्र हैं। 

दुबई में रहने वाली बिहारी प्रवासी सुनीता बताती है कि इस बार दुबई में ही छठ मनाएंगे। पति की नौकरी व बच्चों की पढ़ाई को लेकर घर आने का अफसोस है लेकिन छठ महापर्व के प्रति आस्था को लेकर यहीं पर छठ कर रही हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीय का अपना समूह बना है। यहां पर सभी लोग मिलजुल कर छठ पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे में गांव-घर की यादें ताजा हो जाती है। 


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