काला अक्षर भैंस बराबर, भैंस के आगे बीन बजाना, जैसे मुहावरे गढ़ने वाले संभवत: बिहार के तो रहे नहीं होंगे, वरना भैंस की इन खूबियों के अलावा उसकी खास खूबी से वे जरूर परिचित होते। बिहार की पालिटिक्स में खासा दखल है भैंस का। समय-समय पर राजनीति में प्रकट होती है यदुवंश के प्रतीक के रूप में और फिर नेपथ्य में चली जाती है। इस बार भी आई है, लेकिन रूप बदला हुआ है और खूंटा भी। राजद के खूंटे से यह भाजपा में चली आई है।
अभी तक अपने खूंटे में बांधे लालू प्रसाद यादव को असली यादव होने के लिए ज्यादा से ज्यादा दूध निकाल कर यदुवंशी होने का चैलेंज देने वाले गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ताल ठोक बैठे। ताल तो ठोकी भैंस का नाम लेकर, लेकिन दुहने का मिली गाय। गाय दुहकर उन्होंने असली यदुवंशी होने का सबूत दे दिया। हालांकि लालू यादव की जनीतिक विरासत संभालने वाले उनके बेटे तेजस्वी यादव को भैंस में कोई रुचि नहीं है। उनका फोकस आजकल कापी, किताब पर ज्यादा है। दुधारू भैंस राज्य के किसानों के लिए एटीएम है। लेकिन आजकल गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भैंस को राजनीति में लेकर फिर आ गए हैं।