"माया बाजार" के आकर्षक दृश्य से सम्मोहित हुए दर्शक, तेलुगू भाषा के बावजूद खूब बजी तालियां
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"माया बाजार" के आकर्षक दृश्य से सम्मोहित हुए दर्शक, तेलुगू भाषा के बावजूद खूब बजी तालियां


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BINOD KARN

BEGUSARAI : संगीत नाट्य अकादमी द्वारा सदर प्रखंड स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित 6 दिवसीय नाटक के चौथे दिन तेलुगु नाटक माया बाजार निर्देशक आर वेणुगोपाल राव प्रस्तुति श्री विनायक नाट्य मंदिर मंडली हैदराबाद की टीम ने 2 घंटे के नाटक में ऑडिटोरियम में उपस्थित दर्शकों एवं रंग कर्मियों के लिए दृश्य जादुई सा था। 2 घंटे के नाटक में तेलुगू भाषा डायलॉग को भले ही नहीं समझ पा रहे थे। लेकिन रूप सज्जा, लाइटिंग, वेशभूषा व अभिनय ने लोगों का मन मोह लिया।

 खास बात यह है कि अभिनय में शामिल एक परिवार के 42 सदस्यों की टोली थी जो अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा। महाभारत से लिए गए कथानक को निर्देशक ने अपने तरीके से कहानी को गढ़ते हुए आगे बढ़ाया है। जैसा की नाटक का नाम माया बाजार है, अपने नाम के अनुरूप सार्थकता सिद्ध करने में सफल रहा है। मंच पर आकाश मार्ग से मंच पर नारद का पदार्पण, बारिश का दृश्य, आग की परिधि, चांद का उगना, दोनों तरफ से तीर का चलना और टकराना सहित कई ऐसे दृश्य थे, जिससे कि दर्शन को पारसी थिएटर और आधुनिक थिएटर के बीच जादूगरी देखने का एहसास कर रहा था।

मालूम हो कि हैदराबाद की यह टीम आठवीं पीढ़ी के 42 सदस्य अभिनय कर रहे थे। इस पूरे नाटक में एक भी बाहर का कलाकार नहीं था। 82 साल के उम्र से लेकर 5 साल के बच्चे अभिनय कर रहे थे। इसको लेकर जब निर्देशक से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि 140 वर्ष पुराना उनका खानदानी पेशा है। निर्देशक जिस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, उसका 99 वर्ष हो गया है। नाटक में अर्जुन की पत्नी सुभद्रा एवं भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम और उसके परिवार के कथानक से जुड़ा हुआ है, जिसमें निर्देशक ने एक सफल व्यक्ति हो जाने के बाद, अपने वचन से कैसे लोग मुकर जाते हैं, इसे दिखाने का काम किया है। नाटक में एक जगह कृष्ण कहते हैं छोटी-छोटी बातों को लेकर आपसी संबंधों को तोड़ा नहीं जा सकता है। जैसे कई संवाद परिवार, समाज, रिश्ते और संबंधों के निर्वहन को लेकर त्याग करने की प्रवृत्ति को रेखांकित करता है। इस प्रकार पूरा नाटक भगवान कृष्ण एवं बलराम के चारों ओर घूमते रहता है। नाटक में संगीत, म्यूजिक, भाव भंगिमा, पोशाक, रूप सज्जा एवं दृश्य सजा उपस्थित दर्शन एवं सुधि रंग निर्देशों को कई स्तर पर सीखने का मौका भी उपलब्ध कराया है।
इस अवसर पर स्थानीय संयोजक अमित रोशन, चित्रकार सीताराम जी, ललन प्रसाद सिंह ने अतिथियों को अंग-वस्त्र प्रदान कर स्वागत किया है। नाटक के शुरुआत में विषय प्रवेश अभिजीत कुमार मुन्ना ने कराया। कार्यक्रम को संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के नाटक अनुभाग के दीपक,  प्रलय खान, पवन झा प्रशासनिक गतिविधि अशोक कुमार, राहुल सोमवीर, कुलदीप एवं सुरेंद्र सिंह प्रबंधन देख रहे हैं।

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