लोगों के हृदय में बसने की ताकत है दिनकर की रचनाओं में : डॉ अशोक बत्रा
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लोगों के हृदय में बसने की ताकत है दिनकर की रचनाओं में : डॉ अशोक बत्रा









BINOD KARN


BEGUSARAI : बेगूसराय स्थित वीणा वेंक्वेट हॉल में शनिवार को राष्ट्रीय कवि संगम का प्रांतीय अधिवेशन आयोजित की गई। अधिवेशन का उद्घाटन राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री व हास्य कवि अशोक बत्रा, अंतरराष्ट्रीय स्तर के वीर रस के कवि अर्जुन सिसोदिया, औरैया U. P. से आए राष्ट्रीय स्तर के कवि अजय शुक्ला अंजाम, प्रांतीय अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय, बेगूसराय जिला इकाई के संरक्षक अभिषेक कुमार, साहित्यकार अशांत भोला, जिलाध्यक्ष बृजबिहारी मिश्र सहित अन्य ने संयुक्त रूप दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार अशांत भोला ने की, जबकि स्वागत भाषण प्रफुल्ल मिश्र, संचालन प्रभाकर कुमार राय ने किया। मौके पर अथितियों के द्वारा वार्षिक स्मारिका काव्यार्पण का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में बिहार के कई जिलों से आए कवियों ने भाग लिया।

 अधिवेशन के पहले सत्र को संबोधित राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ अशोक बत्रा ने कहा कि दिनकर ने देश के लोगों में राष्ट्रीयता की ज्योति को प्रज्ज्वलित किया। कविता में केवल मनोरंजन ही नहीं कर्म और मर्म भी होना चाहिए। आज कविताएं मंचों पर मनोरंजन के लिए सेवित की जाती है। लोग उसका आस्वादन करते हैं। लेकिन कविता वह भी होती है जिसमें तुलसीदास की रामचरितमानस है जो लोगों के हृदय में बस गई और पूरी मानव जाति को एक नई दिशा दे रही है। दिनकर की पंक्तियों में भी यही ताकत थी। दिनकर की पंक्तियों से राष्ट्रीयता का भाव जगती है। उनकी कविता सत्य- निष्ठा का पाठ पढ़ाती है। कविता वह होती जो मानवीय मूल्यों को जगाए। कविता वह जो हमारे स्पंदन में हो, हमारे खून में हो। कविता धधकती हुई ज्वाला होनी चाहिए। दिनकर की कविता भी ऐसी ही है। कविता हृदय की अंगार से निकली हुई होनी चाहिए। वही अंतरराष्ट्रीय कवि अर्जुन सिसोदिया ने कहा कि दिनकर और वीररस एक दूसरे के पर्याय हैं। दिनकर ने जनाक्रोश को रेखांकित किया। उन्होंने जनांदोलन को दिशा दी। ओज के कवियों में दिनकर से बड़ा कवि मेरी नजर में कोई नहीं है। दिनकर की रश्मिरथी, कुरूक्षेत्र बेहतर उदाहरण है। बेबाक और निडर के रूप में अपनी बात रखने का जो माद्दा दिनकर में है वे दूसरों की कविताओं में नही है। दिनकर राज्यसभा में बैठे हैं। लेकिन दिनकर सत्ता और शासन के आंख में आंख डालकर अपनी कविता लिखते थे। उन्होंने कविता को आंदोलन बना दिया। दिनकर कालजयी रचनाकार हैं जिन्होंने समय के शिलापट्ट पर वह पदचिन्ह और हस्ताक्षर छोड़ दिया है कि जबतक हिंदी रहेगी, जबतक चिंतना रहेगी, मेधा रहेगी, तब तक दिनकर को पढ़ा जाएगा। दिनकर राष्ट्र के गौरव हैं। दिनकर उर्जा, उत्साह के कवि है। दिनकर जो उर्जा भर कर गए हैं। उसी उर्जा को लेकर बिहार, बेगूसराय और भारत विश्व पटल पर खड़ा हो। दिनकर को पढ़े और उनसे प्रेरणा लें। उनकी रचनाओं से चुनौतियों को स्वीकार करने और चुनौतियों के सिर पर चढ़कर तांडव करना सीखें। दिनकर कविताओं ने आम जनमानस को झकझोरने और राजनीति को दिशा देने का काम किया। जबकि राष्ट्रीय स्तर के कवि अजय शुक्ला अंजाम ने कहा कि दिनकर की रचना केवल रचना नही है यह एक आचार संहिता है। दिनकर की रचना पढ़ने से कर्तव्य बोध होता है। जिस उर्जा, जिस राष्ट्रभक्ति, जिस वीरत्व, जिस राष्ट्रधर्म की रचना दिनकर करते हैं वो केवल दिनकर ही कर पाएं हैं। आज जब दिनकर की धरती पर गया माथा टेका। उनकी प्रतिमाओं का निरीक्षण किया। उस घर को देखा। तो मन में लगा कि हमारी सांस्कृतिक वैभव और विरासत इतनी बड़ी है। हम उनके साहित्य, उनके चिंतन, उनके दर्शन, उनकी वेदना, और उनके द्वारा बताए गए आचरण संहिता से च्यूत हो गए हैं। हमारी नई पीढ़ी आई तो पाश्चात्य संस्कृति से इतना प्रभावित हो गई कि हमारी अपनी सांस्कृतिक वैभव, दर्शन और चिंतन से हमारी पीढ़ियां दूर होती चली गई। दिनकर की कविताओं को समाज में स्थापित करने की जरूरत है। उनकी एक- एक पंक्ति व्यक्ति की जीवन संहिता बदल सकती है और उनको उत्कर्ष के नए आयामों तक ले जा सकती है।

दिनकर को केवल पढ़ने की जरूरत नही है उनको जीने की जरूरत है। मौके पर कार्यक्रम की शुरुआत नालंदा के कवि नवनीत कृष्ण ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। मौके पर अतिथियों को चादर, बुके व मोमेंटों से सम्मानित किया गया। 


24 जिलों से 250 कवियों ने किया सिरकत


राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय अधिवेशन में बिहार के करीब 24 जिलों से 250 कवियों ने भाग लिया। मौके पर एक दिवसीय अधिवेशन में विभिन्न जिलों से आए कवियों के द्वारा काव्य पाठ किया। गया। साथ ही अपने अपने मासिक व पाक्षिक काव्य गोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही स्कूल-कॉलेजों में कवि सम्मेलन आयोजित करने, इकाईयों का विस्तार करने का प्रस्ताव पारित किया गया। वही एक मंच से 30 वर्ष से कम उम्र के कवियों की प्रस्तुति एवं दूसरे मंच से 30 वर्ष से अधिक उम्र के कवियों का कविताएं प्रस्तुत की गई। वही दस्तक प्रतियोगिता के लिए युवा एवं युवती कवियों का भी पाठ कराया। जिससे राज्य स्तर के प्रतियोगिता के लिए चयन किया जाएगा। मौके पर राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय संगठन मंत्री रवि नारायण, मंत्री अंकेश कुमार, सुधीर सिंह, नीरज सिंहा, सोशल मीडिया प्रभारी रविभूषण, बेगूसराय जिला इकाई के मार्गदर्शक संजय कुमार सिंह व कवि प्रफुल्ल मिश्र, डॉ शैलेंद्र शर्मा त्यागी, देवनीति राय, जिलाध्यक्ष बृजबिहारी मिश्र, महामंत्री अमरेश कुमार शिशिर, जिला संगठन मंत्री सह मीडिया प्रभारी विकास वागीश, जिला सचिव कवि विनोद व प्रकाश कुमार, जिला मंत्री रंजू ज्योति, कोषाध्यक्ष राकेश कुमार चौधरी महंत, फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप, बछवाड़ा इकाई के कोषाध्यक्ष सरोज कुमार चौधरी, आलोक रंजन, ब्रजेश कुमार, रौशन कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

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