मुक्तिधाम में चलती है बच्चों की ‘अप्पन पाठशाला’:पार्थिव शरीर से फल उठाकर खाने वाले झुग्गी - झोपड़ी के यहां पढ़ते हैं 100 से अधिक बच्चे - Bihar Positive
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मुक्तिधाम में चलती है बच्चों की ‘अप्पन पाठशाला’:पार्थिव शरीर से फल उठाकर खाने वाले झुग्गी - झोपड़ी के यहां पढ़ते हैं 100 से अधिक बच्चे - Bihar Positive

अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार के जरिए ही राष्ट्र व समाज का विकास संभव है। और यह काम शिक्षक से बेहतर कोई नहीं कर सकता। समाज के कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जो शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते हैं और उन बच्चों के बीच इसे बखूबी फैला रहे हैं जो सिस्टम के फोकस से दूर हैं। इनपर हमें नाज है। शिक्षक दिवस पर ऐसी छोटी-छोटी पहल की कहानियां...

झुग्गी - झोपड़ियों में रहने वाले कचरा चुनने वाले बच्चे जो कभी मुक्तिधाम पहुंचे पार्थिव शरीर से फल उठाकर खाते थे। भूख मिटाते थे। अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे शव से पैसा चुनकर गुजर - बसर करते थे। इनके हाथों ने जब कलम पकड़ी तो फिर एक से 10 और 10 से 100 और इसी तरह आंकड़ा बढ़ता गया। मुक्तिधाम में अप्पन पाठशाला वंचित बच्चों का सपनों का स्कूल बन गया। यहां अभी 138 से अधिक बच्चों का नामांकन है। 100 से अधिक रोज उपस्थित होते हैं।

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