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BIHAR: मंत्री बड़ा या अधिकारी? बिहार की सियासत में इस सवाल पर घमासान छिड़ा है। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर (Prof. Chandrashekhar) और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आईएएस केशव कुमार पाठक (KK Pathak) के बीच तनातनी का मामला सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) तक पहुंच चुका है।
गुरुवार को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश ने सीएम आवास पर बुलाकर दोनों को फटकार लगाई और कहा कि इस तरह से कोई मसला सार्वजनिक होना सही नहीं है। अगर कोई समस्या है तो आपस में चर्चा होनी चाहिए। हालांकि, इसके बावजूद मामला शांत होता नहीं दिख रहा है।
समझिए शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव के बीच का विवाद
दरअसल, 1990 बैच के IAS केके पाठक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभालते ही विभाग और जिला शिक्षा कार्यालयों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। केके पाठक के बारे में कहा जाता है कि जब बिहार का कोई मुख्यमंत्री किसी विभाग को दुरुस्त करना चाहता है तो उसे केके पाठक की याद जरूर आती है। लालू से लेकर नीतीश तक इन्हें आजमा चुके हैं।
हालांकि, शिक्षा विभाग में आईएएस केके पाठक की जरूरत से ज्यादा दखल राजद कोटे से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को रास नहीं आई। उन्होंने अपने आप्त सचिव डॉ कृष्ण नन्द यादव से केके पाठक को पीत पत्र भिजवा दिए और शिक्षा मंत्री के अधिकार के हनन की बात कही। इसके बाद केके पाठक ने पीत पत्र के जवाब में शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव को पत्र लिख दिया, जिसके बाद यह पूरा विवाद सार्वजनिक हो गया।
शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव ने इस पत्र के जरिए मंत्री के आप्त सचिव को फटकार लगाई और नसीहत दे डाली। केके पाठक ने आप्त सचिव की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया और ऑफिस में उनकी एंट्री बंद कर दी। केके पाठक ने पत्र में उनकी डॉक्टरेट की डिग्री की भी मांग कर दी और कहा कि आप अपने नाम के आगे जो डॉ लगाते हैं, उसका सबूत दें।
शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने केके पाठक के पत्र को आड़े-हाथों लिया और भागे-भागे लालू यादव के पास शिकायत लेकर पहुंच गए। लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन घुमाया दिया और पूरे मामले की जानकारी दी।सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव केके पाठक को आमने-सामने बिठाया और मामले को तूल देने की बजाय सलटाने की सलाह दी।
शिक्षा मंत्री ने पूछा- मंत्री बड़ा या अधिकारी
सीएम से मुलाकात के बाद भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रुख नर्म नहीं पड़े। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह सवाल उठाया कि संविधान के अनुसार, कौन बड़ा है? मंत्री या अधिकारी? हालांकि, शिक्षा मंत्री ने केके पाठक के साथ उनके किसी भी तरह के विवाद से इनकार किया।
महागठबंधन में पड़ी दरार, RJD-JDU नेता आपस में उलझे
शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के विवाद में राजद और जदयू के कई नेता भी कूद पड़े। आग में घी डालने का काम जदयू कोटे के मंत्री रत्नेश सदा ने किया। उन्होंने कहा केके पाठक सरकार को बदनाम कर रहे हैं। फिर क्या था। आईएएस अधिकारी केके पाठक को लेकर राजद और जदयू के नेता आपस में ही उलझ गए हैं।
राजद के कई नेताओं ने भी केके पाठक के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की तो कई ने उनके कामों की सराहना की। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि केके पाठक जैसे अफसर काम कम और शोर-शराबा ज्यादा करते हैं।उन्हें कान पकड़कर निकाल देना चाहिए।
दूसरी तरफ ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि केके पाठक के बारे में राज्य के लोग जानते हैं कि वे एक ईमानदार अधिकारी हैं। जदयू के विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि पाठक की कार्यशैली परिणाम देने वाली है। उन्होंने कहा कि पाठक ने शिक्षा विभाग के सिस्टम को अपडेट किया है। इससे किसी को परेशानी हो रही होगी।
राबड़ी ने BJP पर लगाया आरोप
इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि पूर्व सीएम राबड़ी को शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर के बदले सफाई देनी पड़ी। राबड़ी देवी ने कहा कि चंद्रशेखर कभी भी सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते। भाजपा ने इस मामले को तूल दिया है। सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
वहीं, वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि राजद के किसी भी नेता से अधिक राबड़ी देवी के बयान का महत्व है। इसलिए इस प्रकरण को लेकर महागठबंधन में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है।
शिक्षा मंत्री को देना चाहिए इस्तीफा- भाजपा
महागठबंधन के शीर्ष नेता भले ही विवाद की बात से इनकार कर रहे हो, लेकिन भाजपा इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगी है। राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। वे मंत्री-अफसर टकराव के मूकदर्शक बने हुए हैं।
मोदी ने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभागीय सचिव एक-दूसरे को औकात बताने पर तुले हैं। मंत्री के आप्त सचिव को शिक्षा विभाग में घुसने पर पाबंदी लगा दी गई। उन्होंने कहा कि इतने अपमान के बाद तो शिक्षा मंत्री को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए।
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