मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व सामा चकेवा शुरू: छठ के बाद से पूर्णिमा तक चलता है, मूर्ति खरीदने के लिए जुट रहे हैं लोग - Sama Chakeva Festival
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मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व सामा चकेवा शुरू: छठ के बाद से पूर्णिमा तक चलता है, मूर्ति खरीदने के लिए जुट रहे हैं लोग - Sama Chakeva Festival


मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व सामा चकेवा आज से शुरू हो गया है। सामा चकेवा की खरीदारी के लिए जितवारपुर हसनपुर स्थित प्रजापति समाज के घर पर लोगों की भीड़ जुटी हुई है। बताया जाता है कि यह पर्व महापर्व छठ के दूसरे दिन से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है। समस्तीपुर समेत मिथिलांचल के विभिन्न जिलों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे भाई-बहन के बीच प्रेम संबंधों को दिखाया गया है। इस पर्व में सामा बहन के रूप में है जबकि चकेवा भाई के रूप में। सामा चकेवा को लेकर कई किवदंतियां भी है।

इस पर्व के दौरान रोज में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर। सामा चकेवा से जुड़ी लोकगीत गाती है और आपस में मूर्तियों का आदान प्रदान करती है जिसे फेरा कहा जाता है। यह सिलसिला कार्तिक की पूर्णिमा तक चलता है। पूर्णिमा के दिन सामा का खोईंछा भराई के बाद उनका विसर्जन किया जाता है। मिथिलांचल का यह महत्वपूर्ण लोक पर माना गया है।

इस बार सामा चकेवा की मूर्ति महंगाई के बीच ₹50 से लेकर ₹300 तक बिक रही है। शिल्पकार मनोज कुमार बताते हैं कि इस वर्ष भी मूर्ति की बिक्री हर 1 वर्ष की भांति भी हो रही है समय के साथ मूर्ति के डिजाइन में बदलाव किया गया है। पहले सामान मूर्ति बनाई जाती थी अब उसमें थोड़ा बदलाव कर बेहतर किया गया है।

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