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हर बच्चे व बच्चियों में बचपन से ही होते हैं नाट्य कलाकार की प्रतिभा : डॉ. सपना चौधरी
BINOD KARN
BEGUSARAI : क्रिसमस के मौके पर शिक्षा में नाट्यकला के अंतर्गत गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन, रमज़ानपुर के दिनकर सभागार में बेगूसराय जिले की नाट्य संस्था माॅडर्न थियेटर फाउण्डेशन (MTF) के कलाकारों ने वरिष्ठ रंगकर्मी परवेज़ यूसुफ़ के निर्देशन में नाटक- 'चीफ़ की दावत' का मंचन किया।
नाटक प्रदर्शन से पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार विधान परिषद सदस्य सर्वेश कुमार, श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. सपना चौधरी, फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप, B.Ed. काॅलेज के प्राचार्य डॉ नीरज कुमार, MBA काॅलेज की प्राचार्य डॉ. सुधा झा तथा प्राध्यापकों ने संयुक्त रूप से किया।
भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई इसकी मूल कहानी का नाट्य रूपांतरण दयानंद शर्मा जी ने किया है। नाटक- 'चीफ की दावत' में मंच पर दीपा कुमारी, राहुल कुमार, एकता भारती, नीतीश कुमार और राजू कुमार ने क्रमशः मां, शामनाथ, मिसेज शामनाथ, चीफ़ और कालू सिंह की भूमिका का निर्वाह किया। नाटक के मंच पार्श्व में प्रेरणा भारती और गौस परवेज़ ने सहयोग किया। कलाकारों ने अपने अभिनय कला से उपस्थित दर्शक को प्रभावित किया तथा कहानी की मूल भावना को संप्रेषित करने में सफल रहे। मां की भूमिका में दीपा कुमारी का संवाद प्रेषण दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला। दरअसल नाटक मनोरंजन के साथ अपनी बात दर्शक तक पहुंचाने का एक ख़ूबसूरत और सशक्त माध्यम है जो रंग प्रशिक्षक परवेज़ यूसुफ़ के निर्देशन में अपनी बात कहने में सफल रहा।
'चीफ़ की दावत' मां के त्याग और बेटे की उपेक्षा का ताना-बाना बुनती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने एक माँ का दर्द उकेरा है, जो अपने बेटे बहू के लिए बोझ के समान है। माँ ने अपने बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया लेकिन वही बेटा उसे बुढ़ापे में बोझ समझता है।
इस मौके पर एस के महिला काॅलेज की पूर्व प्राचार्य सपना चौधरी ने कहा कि कलाकारों का सबसे बड़ा गुण अपनी ओर आकर्षित करने की है। बच्चे में तो जन्म से कलाकार के गुण होते हैं। अभिभावकों का दायित्व बनता है कि वे बच्चों को कला क्षेत्र के लिए भी प्रोत्साहित करे। उन्होंने थियेटर की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। वहीं फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप ने कहा कि सिखने की प्रवृत्ति को बढ़ाने की जरूरत है। ईश्वर ने हर मनुष्य को एक खास गुण देकर भेजा है। उस गुण को पहचानने की जरूरत है। उसे पहचान लिए तो आपकी अलग पहचान बन जाएगी। उन्होंने कहा कि नाटक विधा से शब्दों के उच्चारण ठीक करने व संप्रेषण की शक्ति विकसित करने का बड़ा अवसर मिलता है।
इस मौके पर गंगा ग्लोबल ज्ञान परिसर के निदेशक सह एमएलसी सर्वेश कुमार कहा कि बेगूसराय की धरती नाट्य विधा के मामले में स्मृद्ध रही है लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है। ऐसे में शिक्षण संस्थानों में अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे परिसर के भीतर ऐसे मामलों में शिक्षकों को छूट देते भी हैं। उन्होंने बीएड कालेज के दिनकर सभागार में सहायक प्राध्यापक प्रो. अमर कुमार व प्रशिक्षुओं द्वारा बनाए गए पेंटिंग्स को दिखाते हुए कहा कि कलाकृति मनोभावों पर असर डालती है। कला की दृष्टि से भी समृद्ध जगह है बेगूसराय। मौके पर ही उन्होंने बीएड कालेज के प्राचार्य डॉ नीरज कुमार को ड्रामा व पेंटिंग्स के लिए अलग से बजट बनाने कहा।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. विपिन कुमार ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। उक्त अवसर पर बीएड कालेज और एमबीए कालेज के प्राध्यापकगण, कार्यालयकर्मी तथा प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षु उपस्थित थे।